हिंदुस्तान की आजादी के महायज्ञ में शहीद ऊधम सिंह ने दी अपने प्राणों की आहूति दे दी: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आजादी के अमृतोत्सव एवं शहीद ऊधम सिंह की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में श्रद्धांजलि कार्यक्रम सम्पन्न

कुरुक्षेत्र\शहीद ऊधम सिंह एक महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थे। जिनके दिल में सिर्फ और सिर्फ देश प्रेम की भावना और अंग्रेजों के प्रति अगम्य क्रोध भरा हुआ था। हिंदुस्तान की आजादी के महायज्ञ में शहीद ऊधम सिंह ने दी अपने प्राणों की आहूति दे दी। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आजादी के अमृतोत्सव एवं शहीद ऊधम सिंह की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आश्रम परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए। कार्यक्रम में प्रिंस, कुलदीप, गुरप्रीत सिंह, राघव गर्ग, बाबू राम, हरि पंडित, हिमांशु एवं मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने भी शहीद ऊधम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि शहीद ऊधम सिंह ने प्रतिशोध की भावना के फलस्वरुप पंजाब के पूर्व राज्यपाल माइकल ओ डायर की हत्या कर दी थी। उधम सिंह 13 अप्रैल 1919 के दिन, दिल दहला देने वाली घटना में करीब 1000 से अधिक निर्दोष लोगों की शव यात्रा देख ली थी। तभी से उनको गहरा आघात हुआ और उनके अंदर आक्रोश की भावना जागृत हो गई। फिर क्या था ? उन्होंने अपने निर्देश देशवासियों की मौत का बदला लेने के लिए संकल्प कर लिया। उन्होंने अपने संकल्प को अंजाम दिया फिर उसके बाद वह शहीद -ए -आजम सरदार उधम सिंह के नाम से भारत सहित विदेशों में भी प्रसिद्ध हो गए।

डॉ. मिश्र ने कहा कि उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब में संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था। कम उम्र में ही माता-पिता का साया उठ जाने से उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा और अनाथालय में शरण लेनी पड़ी। लेकिन 1919 में हुए जालियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने पढ़ाई जारी रखने के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने का फैसला किया और अपनी जिंदगी आजादी की जंग के नाम कर दी। उस वक्त वे मैट्रिक की परीक्षा पास कर चुके थे।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि आज ही के दिन 1940 में उन्हें माइकल ओ डायर की हत्या के आरोप में पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई थी। सरदार उधम सिंह का नाम भारत की आजादी की लड़ाई में पंजाब के क्रांतिकारी के रूप में दर्ज है। उनका असली नाम शेर सिंह था और कहा जाता है कि साल 1933 में उन्होंने पासपोर्ट बनाने के लिए उधम सिंह नाम अपनाया। कार्यक्रम में प्रिंस, कुलदीप, गुरप्रीत सिंह, राघव गर्ग, बाबू राम, हरि पंडित, हिमांशु एवं मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने भी शहीद ऊधम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। बच्चों ने शहीद उधम सिंह के जीवन से सम्बन्धित अनेक प्रसंग एवं संस्मरण सुनाये।

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