मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में बच्चों के समग्र विकास में संस्कृति शिक्षा का महत्व विषय पर शिक्षा संवाद कार्यक्रम सम्पन्न।
कुरुक्षेत्र/
शिक्षा मनुष्य जीवन के परिष्कार एवं विकास की कुंजी मानी गई है। शिक्षा मानव सभ्यता के विकास क्रम में संस्कृति का सोपान है। शिक्षा मानव को उसके अतीत और वर्तमान के सन्दर्भ में उसके अस्तित्व की पहचान देते हुए भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है।
परिवार ज़्यादातर बच्चों के लिए सांस्कृतिक प्रभाव का प्राथमिक स्रोत है। परिवार के मूल्य, विश्वास और प्रथाएँ बच्चे की दुनिया की समझ को आकार देती है। बच्चों के समग्र विकास मे धर्म एवं संस्कृति का प्रभाव एक शक्तिशाली माध्यम है। यह विचार मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा बच्चों के समग्र विकास में संस्कृति शिक्षा का महत्व विषय पर आयोजित शिक्षा संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारम्भ मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ। विद्यार्थियों ने संस्कृति शिक्षा भी सम्बन्धित प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किये। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा
संस्कृति शिक्षा बच्चों को देश की विरासत, संस्कृति, कला, संगीत, भाषा, दर्शन, ज्ञान, और जीवन शैली के बारे में सीखने का अवसर देती है। यह हमारी असीमित संस्कृति की जानकारी, समझ और उससे जुड़ी दृष्टि को विस्तार देता है जो हमें अपने समय के साथ साथ अन्य धर्म, संस्कृति और समुदायों से भी मेल जोल करने में मदद करती है। संस्कृति शिक्षा के द्वारा बच्चों को जिज्ञासा और अन्वेषण के साथ बेहतरीन अनुभव होते हैं, तो इससे उन्हें सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलती है जो उनके जीवन भर मार्गदर्शन करती है। आज की वैश्वीकृत दुनिया में व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता के लिए संस्कृतिक कौशल भी आवश्यक हैं।
डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आज संस्कृति शिक्षा के आभाव में
अभारतीय जीवनशैली के परिणाम स्वरूप ज्ञान के क्षेत्र में भारतीय और अभारतीय ऐसे दो भाग हो गए हैं। आज भारतीय ज्ञानधारा के समक्ष अनेक प्रश्न खड़े हो गए हैं, और दोनों का मिश्रण हो गया है। चारों ओर भ्रम फैला हुआ है, उचित-अनुचित, सही-गलत और करणीय-अकरणीय का विवेक लुप्त हो गया है। धर्म और ज्ञान से मार्गदर्शन प्राप्त करना भूलकर सरकार से सहायता की कामना कर रहे हैं। इस परिस्थिति में शुद्ध भारतीय ज्ञान को आज की शिक्षा में पुन प्रतिष्ठित करना हमारा दायित्व है।सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुरेंद्र सिंह ने किया। कार्यक्रम में डा.पालाराम शर्मा, श्रीमती राजेश कुमारी, संतोष,ज्योति सरोज बाला सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।