*कालिदास के ग्रन्थों में है आधुनिक समस्याओं का समाधान
*उनके साहित्य में वर्णित जीवन मूल्य पर हुआ संस्कृत व्याख्यान
–कुलदीप मैन्दोला
उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार के द्वारा महाकवि कालिदास जयंती मास महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। प्रत्येक जनपद के क्रम में जनपद नैनीताल में भी शुक्रवार को मध्यान्तर अन्तर्जाल के माध्यम से महाकवि कालिदास के ग्रन्थों में आधुनिक समस्याओं का समाधान तथा उनके साहित्य में वर्णित जीवन मूल्य पर विद्वानों ने अपने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर एम. सी. पांडे ने कहा कि उनका अदभुत्य साहित्य सभी विधाओं में अनुसरण के योग्य है प्रकृति का वर्णन सर्वाधिक रूप में कालिदास ने किया है जो कि अत्यंत रमणीय है उन्होंने कहा कि कालिदास के नाटक का प्रसंग आधुनिक फिल्मों में भी देखा जा सकता है संस्कृत साहित्य के विद्वानों ने इसलिए उनको अनामिका नाम सार्थवती बभूव के रूप में विभूषित किया है मुख्य अतिथि के रूप में श्री गोविंद पांडेय ने कहा कि कालिदास के साहित्य में सभी विषयों में उन्होंने मानव जीवन के मूल्यों को प्रदर्शित किया गया है माता-पिता के विषय में गुरु शिष्य के विषय में प्रकृति के विषय में पर्यावरण के विषय में प्रेम के विषय में वात्सल्य के विषय में दुख के विषय में सुख के विषय में मानव जीवन के परोपकार के विषय में उन्होंने अपने ग्रन्थ में विशेष रूप से वर्णन किया है।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर सदाशिव कुमार द्विवेदी ने कहा कि उनके साहित्य में सार्वभौमिक सनातन दृष्टिगोचर होता है ऋतु विज्ञान के अनुसार रितु का वर्णन भारत के भौगोलिक परिस्थितियों के साथ मेघदूत में अतिसरलता के साथ किया गया है उन्होंने
उनके साहित्य का अद्वितीय जीवन दर्शन स्थापित किया उन्होंने कहा कि कालिदास के ग्रन्थ में लोक महत्व का दर्शन अति उत्तम है कण्वमारीच संदर्भ में उन्होंने शकुंतला के पुत्र का संरक्षण एवं अभिज्ञान शाकुंतल में राज व्यवस्था, शासन व्यवस्था, राष्ट्रव्यवस्था का विवेचन भी किया उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के काल में महान विनाश से बचने के लिए शास्त्रों का अनुपालन ही आवश्यक है क्योंकि आधुनिक समाज में जो विकार है इनमें से धृति ही प्रथम धर्म लक्ष्मण है अर्थात समाज में धैर्य का अभाव होने के कारण समस्याओं का समाधान होने में कठिनाई हो रही है अतः तपसा सर्वं प्राप्तुं शक्यते तपस्या से ही सब कुछ प्राप्ति हो सकती है उन्होंने कुमारसंभव के पंचम सर्ग का उदाहरण देते हुए कहा कि मनुष्य को तपस्या से सब प्राप्त करना चाहिए । मेघदूत में कालिदास ने कहा है की श्रेष्ठ जनों से मांगना बहुत श्रेष्ठ है नीच व्यक्ति से मांगा हुआ कुछ भी विनाशकारी हो सकता है याच्ञा मोघावरमधिगुणे नाधमे लब्धकामा: । उन्होंने कहा कि दांपत्य के विषय में भी समस्याओं का समाधान है कि अद्वैत प्रवृत्ति की सिद्धि होनी चाहिए अर्थात् एकात्मता होनी यही सौभाग्य है। प्रणय के विषय में उन्होंने युवाओं के लिए कहा कि सबसे ज्यादा समस्याओं का समाधान युवाओं के सामने है अपनों से बडों का मान सम्मान दुष्यन्त और शकुन्तला के लिए जो ऋषियों ने स्थापित किया वही अनुकरणीय । कालिदास ने हिमालय को जैंसे पृथिवी का मानदण्ड माना वही मानदण्ड समाज को अपने से बडो के लिए मानना चाहिए।
वक्ता के रूप में डॉ. राजकुमार मिश्रा ने कहा कि साहित्य में ग्रंथ संदर्भ वाक्य संदर्भ एवं शब्द संदर्भ विशेष होता है लेकिन जीवन मूल्य में जीवन तथा प्राण धारण आजीविका के रूप में बोध होता है उन्होंने शकुंतला के दुख का निरूपण दिलीप नंदिनी की सेवा में दिलीप का शेर के भोजन के लिए अपना शरीर प्रदान करने वाला जीवन मूल्य अमूल्य बताया उन्होंने मानक पारक मूल्य की विस्तृत व्याख्या की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. प्रमिला मिश्रा ने रस प्रधानता, काव्य शैली, कर्तव्य, करणीय शिक्षा, आचार विचार नीति एवं चरित्र वर्णन का उदाहरण देते हुए कहा कि शास्त्रों से ही कई प्रकार की समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता है किस तरह से अभिज्ञानशाकुन्तलम में हिरण की हत्या से निवारण गज उपद्रव से निवारण होता है प्रजारक्षा का संकल्प होता है उनके साहित्य में सेवा से ही सुरक्षा का भाव प्रकटित होता है।
इस बीच राज्य संयोजक श्री हरीश गुरुरानी ने सभी को इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं प्रदान की उन्होंने कहा कि विश्व विख्यात कालिदास भारत के प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक है जिनका नाम आधुनिक समाज में सभी विद्वान लोग हर समय के व्याख्यानों में प्रस्तुत करते हैं क्योंकि उन्होंने अद्वितीय साहित्य सृजन मानव जीवन को उपहार स्वरूप भेंट किया है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. मूलचन्द्रशुक्ला ने कहा कि अकादमी का यह सहयोग कई प्रकार के साहित्य को समाज के सामने लाने का कार्य करता है जिसके लिए महान विद्वान एवं दर्शक इस ज्ञान से लाभान्वित होते हैं। जनपद के सहसंयोजक कुलदीप मैन्दोला ने संस्कृत संगोष्ठी में उपस्थित सभी विद्वानों का अतिथियों का संस्कृत व्याख्याता का दर्शकों का अभिवादन कर धन्यवाद ज्ञापन किया। संस्कृत संगोष्ठी में पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर नैनीताल से प्राचार्य प्रोफेसर एम सी पांडे, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय गुरुवार परिसर केरल के निदेशक श्री गोविंद पांडेय तथा भारत अध्ययन केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय के समन्वयक प्रोफेसर सदाशिव कुमार द्विवेदी तथा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जम्मू परिसर से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राजकुमार मिश्रा तथा जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट, एवं डॉ प्रमिला मिश्रा, संस्कृतविभागाध्यक्षा जगतगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट से एवं दर्शकदीर्घा में
डॉ. दयाकृष्णथुवाल, डॉ. प्रकाश पंत, डॉ. अभिषेक परगांई, डॉ. प्रदीपसेमवाल: , डॉ. नवीन जसोला, विपिन उनियाल, अरविंद भट्ट, डा. हेमचन्द्र, डॉ. श्रद्धा पाठक, केशव विजल्वाण, तुलारामशर्मा, डॉ, हेमंत कुमार जोशी, कैलाश चंद्र सनवाल, शैलेंद्र दत्त डोभाल, डा.दिनेशपाण्डे आदि उपस्थित रहे ।