पवन भारतीय
लक्सर/ haridwar अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्तराखंड की बहनों को दिए गए शुभकामना संदेश से यदी रितु खंडूरी का संदेश हटा दिया जाए तो प्रदेश में आधी आबादी की उपेक्षा रेड लाइन पार कर चुकी है । यहां तक की महिला सशक्तिकरण के नाम पर गठित मंत्रालय ने यदि फाइलों में कुछ किया हो तो अलग बात है परंतु धरातल पर तो कुछ नजर नहीं आया है।
सत्ताधारी दल ही नहीं अन्य राजनीतिक दल भी आधी आबादी के प्रति सुषुप्त अवस्था में ही रहे ।
दुख की बात तो यह है कि उत्तराखंड राजनीतिक क्षेत्र में किसी भी दल में कोई भी नेत्री महिलाओं का नेतृत्व करने में अपना प्रभावी स्थान नहीं बना पा रही है ।
अगर कांग्रेस का जिक्र करें तो स्वर्गीय इंदिरा हरदेश के बाद यह स्थान शून्य हो चुका है। जबकि इंदिरा हरदेश भी कांग्रेस पार्टी में ही प्रभावी महिला नेत्री थीं। प्रदेश की आधी आबादी में वह भी विश्वसनीय स्थान नहीं बना पाई थी।
सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी में तो प्रभावी महिला नेत्री का अकाल है । महिला सशक्तिकरण मंत्रालय की महिला मंत्री का तो आम महिला नाम तक नहीं जानती। सोचनीय बात यह है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भी महिला मंत्री महिलाओं को जागरूक करने में पूरी तरह से असफल रही ।
इसलिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यदि विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी जी के द्वारा दिए गए शुभकामना संदेश को हटा दिया जाए तो अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस उत्तराखंड में फीका ही रहा ।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के संबंध में अनेक महिलाओं से संपर्क कर उत्तराखंड प्रदेश में विश्वसनीय एवं प्रभावी महिला नेतृत्व की चर्चा की गई तो राजनीतिक क्षेत्र की कुछ जागरूक और सक्रिय महिला कार्यकर्ताओं को छोड़ दे तो सामान्य महिला, महिला सशक्तिकरण मंत्री का नाम तक नहीं बतला पाई और सक्रिय महिला कार्यकर्ता भी नाम तो जानती हैं, लेकिन महिलाओं के उत्थान के लिए मंत्री द्वारा कोई कार्य किया जा रहा हो इस पर उन्होंने चुप्पी ही साधे रखी।
इस सबके बावजूद प्रदेश में आधी आबादी को प्रभावी नेतृत्व देने में सक्षम एवं क्लीन पृष्ठभूमि की धनी के रूप में रितु खंडूरी का नाम निराशा के इस वातावरण में आशा की एक किरण के रूप में उभर कर आता है ।
उत्तराखंड में आधी आबादी को न्याय दिलाना है तो मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं है कि अब खंडूरी है जरूरी।