हरिद्वार. नेशनलिस्ट यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स’ (एनयूजे उत्तराखण्ड) ने देशभर में प्रकाशित समाचार पत्र-पत्रिकाओं की प्रति 48 घंटे के भीतर आरएनआई कार्यालय, नई दिल्ली अथवा प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो के क्षेत्रीय कार्यालयों में जमा कराने की प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनवाने की मांग की है.
इस संबंध में यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोक चन्द्र भट्ट द्वारा भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक द्वारा दिनांक 25 सितम्बर, 2023 को जारी एडवाजरी संख्या 2/2023 का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री को पत्र भेज कर प्रकाशकों की परेशानियों से अवगत कराया गया है.
पत्र में कहा गया है कि प्रकाशित समाचार पत्र-पत्रिकाओं की प्रति को 48 घंटे के भीतर आरएनआई कार्यालय, नई दिल्ली अथवा प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो के क्षेत्रीय कार्यालयों में संदेशवाहक अथवा डाक द्वारा जमा कराने का निर्देश दिया है। साथ ही समाचार पत्र-पत्रिकाओं की प्रति जमा न कराये जाने पर आर्थिक दंड का प्रावधान भी किया गया है। जिसको लेकर देशभर में मीडियाजगत में सरकार के प्रति गहरी नाराजगी और गुस्सा है।
यूनियन ने प्रधानमंत्री का ध्यानाकर्षण करते हुये है कि भारत के विभिन्न राज्यों की संरचना और भौगोलिक स्थिति भिन्न-भिन्न है। उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, और पूर्वोत्तर के असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और मेघालय के अनेक नगरों और कस्बों की ऐसी स्थिति है कि उन क्षेत्रों के नागरिक ही 48 घंटे में अपने प्रदेश की राजधानी नहीं पहुंच पाते हैं, जबकि आरएनआई द्वारा प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो के क्षेत्रीय कार्यालयों में 48 घंटे में अखबार पहुंचाने की अपेक्षा की गयी है।
पत्र में श्री भट्ट ने लिखा है कि हिमालयी राज्यों में बारिश, अतिवृष्टि, बर्फबारी, भूस्खन, बाढ़ और सड़क मार्ग अवरूद्ध होने की स्थिति में भी आवागमन कई दिनों तक बाधित हो जाता है। ऐसे में दूध, फल, सब्जी और राशन तक के लिए लोग तरस जाते हैं। इन राज्यों में एक-स्थान से दूसरे स्थान के लिए सीधी बस सेवा या पब्लिक ट्रांस्पोर्ट उपलब्ध नहीं होता। ऐसे में समाचार पत्रों का समयबद्धता के साथ प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो के क्षेत्रीय कार्यालयों में संदेशवाहक अथवा डाक द्वारा पहुंचाना अत्यंत कठिन होता है।
उन्होंने कहा है कि लघु, मझौले और मध्यम श्रेणी के दैनिक साप्ताहिक पाक्षिक और मासिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं के स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक या संपादक जिनके अपने मुद्रणालय नहीं हैं और वे अपने प्रकाशनों के लिए दूसरी प्रिंटिंग प्रेसों पर निर्भर हैं . उनके लिए सबसे अधिक परेशानी है। प्रिंटिंग प्रेस में तकनीकी खराबी, ब्रेक डाउन, विद्युत आपूर्ति आदि कई ऐसी समस्याएं भी होती हैं जिनसे समयबद्ध प्रकाशन बाधित व प्रभावित होता है। इसके बावजूद वे किसी तरह अपने प्रकाशनों को जिंदा रखकर कर देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।
पत्र में कहा गया है कि डाकघरों के माध्यम से भेजी जाने वाली साधारण डाक भी समय ने गन्तव्य पर नहीं पहुंचती है। यहां तक कि स्पीड पोस्ट और पंजीकृत डाक भी निर्धारित अवधि में डिलीवर नहीं हो पा रही है। इससे डाक द्वारा भेजे जाने वाले समाचार पत्र भी अछूते नहीं हैं, और वे समय से गनतव्य पर डिलीवर नहीं हो पाते।
वर्णित समस्त परिस्थितियों के मध्य आरएनआई के 48 घंटे में समाचार पत्र जमा कराने और आर्थिक दंड के आदेश के कारण देशभर में हजारों समाचारपत्रों पर बंदी की तलवार लटकने लगी है। यूनियन द्वारा मांग की गयी है कि उक्त के दृष्टिगत आरएनआई या क्षेत्रीय प्रेस सूचना ब्यूरो में समाचार पत्र जमा कराने की व्यवस्था में राहत प्रदान करने हेतु इस प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनवाया जाय.