सूर्यग्रहण 25 अक्टूबर मंगलवार कार्तिक अमावस्या पर लगेगा : महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य
यह ग्रस्तास्त खण्डग्रास सूर्यग्रहण 25 अक्टूबर 2022 ई. कार्तिक अमावस्या, मंगलवार के दिन दिखाई देगा,इस सूर्य ग्रहण के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया भूलोक पर यह ग्रहण दोपहर 02 बजकर 29 मिंट पर शुरू होगा और शाम 06 बजकर 32 पर समाप्त होगा। पूर्वी भारत को छोड़कर यह ग्रहण भारत में सवर्त्र दिखाई देगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह ग्रहण स्वाति नक्षत्र,प्रीति योग और तुला राशि में घटित होगा।
यह ग्रहण 25 अक्टूबर मंगलवार शाम 04 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा और इस दिन शाम 05 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा।
इस सूर्य ग्रहण ऐसे समझे :
ग्रहण भारतीय स्टैं.टाइम्स 25 जून 2022 ई.के अनुसार इस प्रकार रहेगा :
ग्रहण (प्रारंभ) शाम 04 बजकर 17 मिंट से
परमग्रास (मध्य) शाम 05 बजकर 23 मिंट पर
ग्रहण समाप्त शाम 05 बजे 44 मिंट पर
ग्रहण का सूतक काल 25 अक्टूबर 2022 सुबह सूर्योदय से पहले 02 बजकर 30 से शुरू होगा, ग्रहण का सूतक 25 अक्टूबर मंगलवार सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा।
ग्रहण का फल : देश में चोरी से तथा अग्निकांड का भय होगा। साधुजनों, व्यापारी वर्ग को कष्ट एवं हानि होगी, मंत्री मंडल तालमेल का अभाव होगा। कुछ फसलों के मूल्यों में वृद्धि होगी। सीमाओं पर अशांति होगी।
भारत के अलावा यूरोप, मध्य पूर्वी तथा उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया तथा उतरी हिन्द महासागर में दिखाई देगा।
ग्रहण का राशियों पर कैसा पड़ेगा प्रभाव,जानिए।
मेष:- पति/स्त्री को कष्ट होगा।
वृष:- कष्ट,रोग एवं गुप्त चिंता होगी।
मिथुन :- कार्यों में देरी होगी एवं खर्च अधिक होगा।
कर्क :- कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।
सिंह :- उन्नति होगी एवं धन लाभ होगा।
कन्या :- धन हानि होगी।
तुला :- दुर्घटना, चोटभय एवं चिन्ता।
वृश्चिक :- धन की हानि होगी।
धनु :- सफलता प्राप्त होगी एवं उन्नति होगी।
मकर :- चिन्ता ,कष्ट एवं रोग भय।
कुंभ :- संतान संबंधी गुप्त चिंता होगी एवं कार्यों में देरी होगी।
मीन :- शत्रु भय एवं साधारण लाभ होगा।
महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि ,ग्रहण के सूतक और ग्रहणकाल के दौरान कुछ कार्यों को न करे ,ग्रहण काल में सबसे ज्यादा सावधानी गर्भवती महिलाओं को रखनी चाहिए, इस दौरान वे सबसे ज्यादा संवेदनशील होती हैं और गर्भस्थ शिशु पर ग्रहण काल का असर विपरीत पड़ सकता है।आइए जानें कि गर्भवती महिलाएं क्या सावधानी बरतें,गर्भवती महिलाएं ग्रहण काल में एक नारियल अपने पास रखें। इससे गर्भवती महिला पर वायुमंडल से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं पड़ेगा,गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए,शरीर पर तेल ना लगाय,बाल न बांधे,दांत साफ ना करें,घर से बाहर न निकलें ग्रहण के समय भोजन करना, भोजन पकाना, सोना नहीं चाहिए, सब्जी काटना, सीना-पिरोना आदि से बचना चाहिए, उन पर सूर्य की छाया बिलकुल न पड़े इस बात का ध्यान रखें,नाखुन ना काटे, बाल ना काटे,भोजन न करें, सहवास न करें, झूठ न बोलें,निद्रा का त्याग करें,मल,मूत्र ना करे, चोरी न करें, गाय,भैंस का दूध नहीं निकालना चाहिए,आम जनता को भी इन सब बातों को नहीं करना चाहिए,किसी भी प्रकार के पाप कर्म से दूर रहें और ग्रहण काल में अपने इष्टदेव ,शिव या गायत्री मंत्र का जाप करते रहें। ग्रहण के प्रभाव के चलते सूतक काल से ही मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे।
ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुंतुद नरक में वास करता है।
घर में रखे हुए पानी में कुशा डाल देनी चाहिए, इससे पानी एवं दूषित नहीं होता है,कुशा ना हो तो तुलसी का पौधा शास्त्रों के अनुसार पवित्र माना गया है। वैज्ञानिक रूप से भी यह सक्षम है, इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट आसपास मौजूद दूषित कणों को मार देते हैं। इसलिए खाद्य पदार्थ में डालने से उस भोजन पर ग्रहण का असर नहीं होता।
ग्रहण के समय पति और पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। इस दौरान यदि गर्भ ठहर गया तो संतान विकलांग या मानसिक रूप से विक्षिप्त तक हो सकती है।
ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, तप, पूजा पाठ, मन्त्र, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि करना बहुत लाभकारी रहता है।
सूर्य के शुभ प्रभाव प्राप्त करने हेतु सूर्य के वैदिक मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जप करना चाहिए।
शनि की साढ़े साती या ढईया का प्रभाव होने पर अधिक से अधिक ” ॐ शं शनिचराये नम:” शनि मंत्र का जाप करें, हनुमान जी के मन्त्र एवं हनुमान चालीसा का भी पाठ करें।
ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से घर को बचाने के लिए ग्रहण से एक दिन पहले घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर में घी मिलाकर ॐ या स्वास्तिक का चिह्न बनाये ।
बाजार में गमलो को रंगने के लिए,रंगोली बनाने के लिए गेरू मिलता है, ग्रहण से पहले घर के मुख्य द्वार के पास , घर की छत पर एवं घर के आँगन में गेरु के टुकड़े बिखेर दें, और ग्रहण के बाद इसे झाड़ू से बटोर कर घर के बाहर फेंक दे। इस उपाय से घर पर ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है ।
सूर्यग्रहणमोक्ष होने पर सोलह प्रकार के दान, जैसे अन्न, जल, वस्त्र, फल, दूध, मीठा, स्वर्ण, सूर्य से संबंधित लाल वस्तुएं जैसे तांबा,लाल कपड़ा,राजमाश,गुड़, लाल चंदन,लाल फूल अर्क की लकड़ी, आदि का दान जो भी संभव हो सभी मनुष्यों को अवश्य ही करना चाहिए।
ग्रहण के समय राशि अनुसार करें ये दान, मिलेगा लाभ।
मेष राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल,तांबा की वस्तु, दही का दान देना चाहिए।
वृषभ राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े,चांदी और तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।
मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल,पीला वस्त्र, गुड़ और कंबल का दान करें।
कर्क राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल,
सफेद ऊन, तिल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।
सिंह राशि के लोगों को तांबा,गुड़, गेंहू,गौमाता का घी, सोने और मोती दान करने चाहिए।
कन्या राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।
तुला राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल,गुड़, सात तरह के अनाज का देना चाहिए।
वृश्चिक राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा,लाल वस्त्र, दही और तिल दान करना चाहिए।
धनु राशि के जातकों को वस्त्र, चावल, तिल,पीला वस्त्र और गुड़ का दान करना चाहिए।
मकर राशि के लोगों को गुड़,कंबल, और तिल दान करने चाहिए।
कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी,कंबल, घी और तिल का दान चाहिए।
मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल,चना दाल और तिल दान देने चाहिए।
-महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य
प्रधान श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट पंजीकृत, ठठर रायपुर दोमाना जम्मू कश्मीर।
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