विश्वकर्मा जयंती हर उस व्यक्ति का सम्मान है जो सही मायने में कड़ी मेहनत करता है, यह श्रमिक का दिन है: प्रधानमंत्री

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जब एक युवा में शिक्षा की शक्ति के साथ-साथ कौशल की शक्ति भी होती है, तो उसका आत्मविश्वास अपने आप बढ़ जाता है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज पहली बार कौशल दीक्षांत समारोह में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के छात्रों को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया। इस कार्यक्रम में करीब 40 लाख छात्र शामिल हुए।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 21वीं सदी में आगे बढ़ रहा है, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के 9 लाख से अधिक छात्रों के कौशल दीक्षांत समारोह के अवसर पर आज इतिहास रचा गया है, वहीं वर्चुअल माध्यम से हमारे साथ 40 लाख से अधिक छात्र जुड़े। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर अपने कौशल से छात्र नवाचार के पथ पर पहला कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आपकी शुरुआत जितनी सुखद है, आपके आने वाले कल की यात्रा भी उतनी ही रचनात्मक होगी।”

विश्वकर्मा जयंती के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वकर्मा जयंती, ये कौशल की प्राण प्रतिष्ठा का पर्व है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे मूर्तिकार कोई मूर्ति बनाता है लेकिन जब तक उसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती, वो मूर्ति भगवान का रूप नहीं कहलाती। श्री मोदी ने कहा कि आज हम सभी के लिए बड़े गर्व की बात है कि विश्वकर्मा जयंती के पावन अवसर पर छात्रों के कौशल का सम्मान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “विश्वकर्मा जयंती हर उस व्यक्ति का सम्मान है जो सही मायने में कड़ी मेहनत करता है, यह श्रमिक का दिन है।”, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “भारत में, हमने हमेशा श्रमिक के कौशल में भगवान का रूप देखा है, उन्हें विश्वकर्मा के रूप में देखा जाता है।” श्री मोदी ने विस्तार से बताया कि उनके पास जो कौशल है उसमें कहीं न कहीं भगवान का अंश है। उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं कि यह आयोजन ‘कौशलंजलि’ की तरह भगवान विश्वकर्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि है।”

पिछले आठ वर्षों में सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 8 वर्षों में देश ने भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से नई योजनाएं शुरू की हैं, ‘श्रमेव जयते’ की अपनी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास किया है। आज देश एक बार फिर स्किल को सम्मान दे रहा है, स्किल डेवलपमेंट पर भी उतना ही जोर दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसे भारत की सदी बनाने के लिए, यह अत्यंत आवश्यक है कि भारत के युवा शिक्षा के साथ-साथ कौशल में भी समान रूप से दक्ष हों।” श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने युवाओं के कौशल विकास और नए संस्थानों के निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे देश में पहला आईटीआई, 1950 में बना था। इसके बाद के सात दशकों में 10 हजार आईटीआई संस्थान बने। हमारी सरकार के 8 वर्षों में देश में करीब-करीब 5 हजार नए आईटीआई संस्थान बनाए गए हैं। बीते 8 वर्षों में आईटीआई संस्थानों में में 4 लाख से ज्यादा नई सीटें भी जोड़ी गई हैं।”

प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि आईटीआई के अलावा देश भर में राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान, भारतीय कौशल संस्थान और हजारों कौशल विकास केंद्र भी खोले गए हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि सरकार स्कूल स्तर पर कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए 5000 से अधिक स्किल हब भी खोलने जा रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद अनुभव आधारित शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और स्कूलों में कौशल पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए छात्रों को बताया कि अब 10वीं पास करने के बाद आईटीआई में आने वालों को नेशनल ओपन स्कूल के माध्यम से 12वीं का क्लियरिंग सर्टिफिकेट आसानी से मिल जाएगा। श्री मोदी ने कहा, “यह आपको आगे की पढ़ाई में और अधिक सहज बनाएगा।” प्रधानमंत्री ने कहा कि आईटीआई से तकनीकी प्रशिक्षण लेकर निकले युवाओं की सेना में भर्ती के लिए विशेष प्रावधान है।

चौथी औद्योगिक क्रांति, ‘उद्योग 4.0’ के युग के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सफलता में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि समय के साथ नौकरी की प्रकृति बदल रही है, इसलिए सरकार ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि हमारे आईटीआई में पढ़ने वाले छात्रों को भी हर आधुनिक पाठ्यक्रम की सुविधा मिले। पाठ्यक्रमों की उपलब्धता के बारे में बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि आईटीआई में कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन तकनीक और टेलीमेडिसिन से संबंधित कई कोर्स शुरू किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अक्षय ऊर्जा, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में अग्रणी है, ऐसे क्षेत्रों से संबंधित पाठ्यक्रम हमारे कई आईटीआई में शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा, “आप जैसे छात्रों के लिए रोजगार के अवसर प्राप्त करना आसान होगा।”

हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर उपलब्ध कराने और लाखों कॉमन सर्विस सेंटर खोलने के हाल के घटनाक्रमों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे देश में तकनीक का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईटीआई से पास हुए विद्यार्थियों के लिए गांवों में अधिक से अधिक अवसर सृजित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “गांव में मोबाइल मरम्मत का काम हो या कृषि में नई तकनीक का काम हो, खाद का छिड़काव हो या ड्रोन की मदद से दवा की आपूर्ति हो, ऐसे कई नए रोजगार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जुड़ रहे हैं।” इसमें आईटीआई की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, हमारे युवाओं को इन संभावनाओं का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार भी इसी तरह के विजन को ध्यान में रखते हुए आईटीआई को अपग्रेड करने के लिए लगातार काम कर रही है।

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि स्किल डेवलपमेंट के साथ ही, युवाओं में सॉफ्ट स्किल्स का होना भी उतना ही जरूरी है। आईआईटी संस्थानों में अब इस पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। श्री मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा कि व्यवसाय संबंधी योजना बनाना, बैंक से ऋण प्राप्त करने की योजना, आवश्यक फॉर्म भरना और नई कंपनी का पंजीकरण जैसी चीजें पाठ्यक्रम के भाग के रूप में शामिल हैं। उन्होंने कहा, “सरकार के इन प्रयासों का परिणाम है कि आज भारत में कौशल में गुणवत्ता है, और विविधता भी है। पिछले कुछ वर्षों में, हमारे आईटीआई पास-आउट ने विश्व कौशल प्रतियोगिताओं में कई बड़े पुरस्कार जीते हैं।”

कौशल विकास पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “जब एक युवा में शिक्षा की शक्ति के साथ-साथ कौशल की शक्ति भी होती है, तो उसका आत्मविश्वास अपने आप बढ़ जाता है। युवा जब स्किल के साथ सशक्त होकर निकलता है, तो उसके मन में ये विचार भी होता है कि इस स्वरोजगार की भावना को बढ़ावा देने के लिए कैसे वो अपना काम शुरू करें।” प्रधानमंत्री ने मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं की शक्ति पर प्रकाश डाला, जो बिना गारंटी के ऋण प्रदान करती हैं।

 

प्रधानमंत्री ने कहा, “लक्ष्य सामने है, आपको उस दिशा में आगे बढ़ना है। आज देश ने आपका हाथ थाम लिया है, कल आपको देश को आगे ले जाना है।” आजादी का अमृत काल की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हमारे जीवन के अगले 25 वर्ष भारत के लिए अगले 25 वर्षों की तरह ही महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “आप सभी युवा, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल अभियान’ के कर्णधार हैं। आप भारत के उद्योग जगत के आधार की तरह हैं और इसलिए विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने में, आपकी बड़ी भूमिका है।”

वैश्विक स्तर पर अवसरों के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के कई बड़े देशों को अपने सपनों को पूरा करने और अपनी गति बनाए रखने के लिए एक कुशल कार्यबल की आवश्यकता है। श्री मोदी ने कहा कि देश के साथ-साथ विदेशों में भी कई अवसरों की प्रतीक्षा है। “बदलती वैश्विक परिस्थितियों में, भारत के प्रति दुनिया का विश्वास भी लगातार बढ़ रहा है। कोरोना काल में भी भारत ने साबित कर दिया है कि कैसे उसके कुशल कार्यबल और उसके युवा सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान प्रदान करने में सक्षम हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय अपने कौशल और प्रतिभा के कारण हर देश में अपनी पहचान बना रहे हैं, चाहे वह स्वास्थ्य सेवाएं हों या होटल-अस्पताल प्रबंधन, डिजिटल समाधान, या आपदा प्रबंधन का क्षेत्र।

अपने संबोधन के समापन में, प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने आज जो सीखा है, वो आपके भविष्य का आधार जरूर बनेगा, लेकिन आपको भविष्य के हिसाब से अपने कौशल को अपग्रेड भी करना पड़ेगा। श्री मोदी ने कहा, “बात जब स्किल की होती है, तो आपका मंत्र होना चाहिए- ‘ स्किलिंग’, ‘री-स्किलिंग’ और ‘अप-स्किलिंग’!” प्रधानमंत्री ने छात्रों से नए कौशल सीखने और अपने ज्ञान को साझा करने का आग्रह किया। “मुझे विश्वास है, आप इस गति से आगे बढ़ेंगे और अपने कौशल से नए भारत के बेहतर भविष्य को दिशा देंगे।”

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