शिंजो आबे का भारत एवं भारतीयता से बहुत गहरा लगाव था: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

राष्ट्रीय

मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि आर्पित की
कुरुक्षेत्र\मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के आकस्मिक निधन पर मिशन के फतुहपुर स्थित आश्रम परिसर में दो मिनट का मौन रखकर शिंजो आबे को श्रद्धांजलि आर्पित की। मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि भारत और जापान के बीच रिश्ते में शिंजो आबे की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। आबे ने साल 2007 में जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच क्वाड शुरू की थी। अगस्त 2007 में भारत की तीन दिवसीय यात्रा ने भारत और जापान के बीच मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के लंबे इतिहास पर एक नए द्विपक्षीय एशियाई गठबंधन के लिए सहमति भी दी थी। शिंजो आबे का भारत एवं भारतीयता से बहुत गहरा लगाव था।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से शुरू हुआ था आबे परिवार का रिश्ता मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी तक चला। शिंजो आबे, 1957 में स्वतंत्र भारत की यात्रा करने वाले पहले जापानी प्रधान मंत्री नोबुसुके किशी के नाती थे। आबे का भारत से नाता बचपन से जुड़ा था। आबे ने अपनी भारत यात्रा के दौरान उन कहानियों को याद किया था जो उन्होंने बचपन में अपने नाना की गोद में बैठकर भारत के बारे में सुनी थीं। शिंजो आबे का भारत को लेकर खास लगाव था। यह लगाव काशी से लेकर क्योटो तक दिखाई देता था। आबे का भारत की संस्कृति से लेकर द्विपक्षीय संबंधों को लेकर जो निकटता थी वह कई मौकों पर दिखाई थी। बुलेट ट्रेन परियोजना से लेकर असैन्य परमाणु समझौते में आबे की भूमिका भारत से उनके प्रति प्यार को दर्शाती है।

डॉ. मिश्र ने कहा कि आबे को भारत और जापान के बीच संबंध मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है। लंबे समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहे आबे अपने देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शामिल हैं। जापान के प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने भारत के साथ संबंधों को और मजबूत किया था। साल 2020 में उन्होंने कोलाइटिस बीमारी के चलते प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया था। अगस्त 2007 में, जब आबे पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में भारत पहुंचे, तो उन्होंने अब प्रसिद्ध दो समुद्रों का संगम भाषण दिया। हिंद-प्रशांत की अपनी अवधारणा की नींव रखी- भारत से हमेशा नजदीकी रिश्ते के हिमायती आबे रहे। उन्हें भारत सरकार ने 2021 में अपने दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित करने का काम किया।

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