महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वितीय जन्म शताब्दी शुभारंभ समारोह समिति ने सभी सहयोगी संस्थाओं का आभार ज्ञापित किया
कुरुक्षेत्र\महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वितीय जन्म शताब्दी शुभारंभ समारोह के बारह दिवसीय वेद संवाद एवं चतुर्वेद परायण महायज्ञ कार्यक्रम के कुरुक्षेत्र के ब्रम्हसरोवर पर विधिवत संपन्न होने पर कार्यक्रम के प्रभारी एवं मातृभूमि सेवा मिशन के अध्यक्ष डॉ- श्रीप्रकाश मिश्र ने आयोजन समिति की ओर से सभी सहयोगी संस्थाओं का आभार ज्ञापित किया। डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आयोजन समिति के अध्यक्ष स्वामी संपूर्णानंद सरस्वती के मार्गदर्शन मे आयोजित इस बारह दिवसीय महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वितीय जन्म शताब्दी शुभारम्भ समारोह के माध्यम से धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की पावन से वैदिक सनातन धर्म के प्रति सम्पूर्ण समाज एवं विश्व में सकारात्मक संदेश गया।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने योग ऋषि स्वामी रामदेव, मुख्यमंत्री हरियाणा, मुख्य इमाम उमेर अहमद इलियासी, स्वामी सुशील गोस्वामी, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, ब्राम्हस्वरूप ब्रम्हचारी सांसद नायब सैनी, सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद डॉ- सत्यपाल सिंह, विधायक सुभाष सुधा, कर्नाटक प्रतिनिधि मंडल, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, जिला प्रशासन कुरुक्षेत्र सहित समस्त बौद्ध,जैन, सिख, इस्लाम एवं मत, पंथ, विचारों के प्रमुख आचार्यों का कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति एवं सहयोग के लिए आभार प्रकट किया। आयोजन समिति ने सभी मीडिया समूहों, पत्रकार बंधुओं का समस्त कार्यक्रम को जन जन तक पहुंचाने के लिए आभार ज्ञापित किया। गुरुकुल कालवा गुरुकुल झज्जर, गुरुकुल लाड़वा, कन्या गुरुकुल रूड़की रोहतक, कन्या गुरुकुल शिवगंज सिरोही, कन्या गुरुकुल भाभोरी सरधना मेरठ, मातृभूमि शिक्षा मंदिर सहित कार्यक्रम में सहयोगी बौद्ध विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यरलय के विद्यार्थियों शिक्षकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। आयोजन समिति के आचार्य विजय पाल गुरुकुल झज्जर, आचार्य राजेंद्र गुरुकुल कालवा, आर्य सुरेश मलिक, आर्य दिलबाग लाठर, रामपाल आर्य बिट्टू कुंडू, आचार्य योगेंद्र जी द्वारा आयोजन की सकुशल सम्पन्न कराने में विशेष सहयोग के लिए सराहना की गई।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वितीय जन्म समारोह के उपलक्ष्य में देश भर में एक वर्ष तक नशा उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण, भारतीय जीवन दर्शन, गौ संरक्षण, स्वदेश, स्वभाषा, स्वराष्ट्र को समर्पित विभिन्न विषयो पर कार्यक्रम होंगे। डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती वेद ज्ञान के अद्वितीय प्रचारक थे, जिन्होंने भारतवर्ष के सुप्त पड़े हुए आध्यात्मिक स्वाभिमान व स्वावलंबन को पुनः जाग्रत किया। स्वामी दयानंद सबसे पहले ऐसे धर्माचार्य थे, जिन्होंने धार्मिक विषयों को केवल आस्था व श्रद्धा के आधार पर मानने से इनकार कर उन्हें बुद्धि-विवेक की कसौटी पर कसने के उपरांत ही मानने का सिद्धांत दिया। उन्होंने मनुष्य को अपनी बुद्धि, विवेक शत्तिफ़ तथा चिंतन प्रणाली का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने राष्ट्रवाद के सभी प्रमुख सोपानों जैसे कि स्वदेश, स्वराच्य, स्वधर्म और स्वभाषा इन सभी के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह स्वराच्य के सर्वप्रथम उद्घोषक और संदेशवाहक थे। अंग्रेजों की दासता में आकंठ डूबे देश में राष्ट्र गौरव, स्वाभिमान व स्वराच्य की भावना से युक्त राष्ट्रवादी विचारों की शुरुआत करने तथा उपदेश, लेखों और अपने कृत्यों से निरंतर राष्ट्रवादी विचारों को पोषित करने के कारण महर्षि दयानंद आधुनिक भारत में राष्ट्रवाद के जनक थे।