क्रन्तिकारी अमर शहीद मंगल पांडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थेः डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

राज्य

मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम द्वारा आजादी के अमृतोत्सव एवं क्रान्तिकारी मंगल पांडे की जयंती के उपलक्ष्य मे कार्यक्रम संपन्न

कुरुक्षेत्र। देश के प्रथम क्रांतिकारी मंगल पांडे ने अपना बलिदान देकर देशवासियों को आजादी की लड़ाई में आगे आने के लिए प्रेरित किया। मंगल पांडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारी थे। उन्हें 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई। ब्रिटिश सेना में रहते हुए उन्होंने निडरता से अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला था। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम द्वारा आजादी के अमृतोत्सव एवं क्रांतिकारी शहीद मंगल पांडे की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये।

कार्यक्रम का शुभारम्भ शहीद मंगल पांडे के चित्र पर दिप्प्रज्ज्वलान, माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यर्थियो क्रांतिकारी मंगल पांडेय के चित्र के समक्ष आदरांजलि अर्पित की। मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मंगल पांडे के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ बैरकपुर में जो बिगुल फूंका था। वह जंगल की आग की तरह फैलने लगी। विद्रोह की चिंगारी मेरठ की छावनी पहुंच गई थी। 10 मई 1857 को भारतीय सैनिकों ने मेरठ की छावनी में बगावत कर दी। कई छावनियों में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ गुस्सा तेज हो गया था। यह विद्रोह पूरे उत्तर भारत में फैल गया।

इतिहासकारों का कहना है कि विद्रोह इतना तेजी से फैला था कि मंगल पांडे को फांसी 18 अप्रैल को देना था लेकिन 10 दिन पहले 8 अप्रैल को ही दे दी गई। ऐसा कहा जाता है कि बैरकपुर छावनी के सभी जल्लादों ने मंगल पांडे को फांसी देने से इनकार कर दिया था। फांसी देने के लिए बाहर जल्लाद बुलाए गए थे। 1857 की क्रांति भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम था। जिसकी शुरुआत मंगल पांडे के विद्रोह से शुरू हुआ था।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि भारत के प्रथम क्रांतिकारी के रूप में विख्यात मंगल पाण्डेय देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्रामी कहलाते है। उनके द्वारा शुरू किया अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह, समूचे देश में जंगल की आग की तरफ फैल गया था। इस आग को अंग्रेजों ने बुझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन देश के प्रत्येक नागरिक के अंदर ये आग भडक़ चुकी थी, जिसकी बदौलत 1947 में हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। मंगल पाण्डेय ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक थे, उन्होंने अकेले अपने दम पर सामने से ब्रिटिश अफसर पर हमला बोल दिया था। जिस वजह से उन्हें फांसी हो गई थी,मात्र 30 सालों की उम्र में उन्होंने अपने जीवन को देश के नाम समर्पित कर दिया था।

क्रन्तिकारी अमर शहीद मंगल पांडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे । कार्यक्रम मे जसवीर सिंह कालिया बतौर अतिविशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। उन्होंने कहा मातृभूमि सेवा मिशन शहीदों के सपनो को साकार करने मे समर्पित है। इस अवसर पर जसवीर सिंह कालिया एवं उनके परिवार द्वारा मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों को उपहार वितरित किया गया। कार्यक्रम मे आश्रम के सदस्यों सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

 

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