हरिद्वार। विश्व एकता मंच का 19वाँ स्थापना मंच के संस्थापक अध्यक्ष डॉ॰ बी.पी. शुक्ल के आवास पर मनाया गया। इस अवसर पर हिन्दी के विद्वान रामश्रय मिश्र की अध्यक्षता और एम.सी.काला के संचालन में ‘‘विश्व एकता’’ विषय पर एक सार्थक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी से पूर्व मां वागेश्वरी के अर्चन-वन्दन के पश्चात मंच के सह सचिव एम.सी. काला के साथ समवेत स्वर में ‘एकता मंच’ का ध्वज गायन हुआ। इसके बाद डा॰ एस.पी. सुन्दरियाल ने मंच के ड्राफ्ट संविधान का वाचन करते हुए मंच के उद्देश्यों और संगठन की भावी योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
गोष्ठी का शुभारम्भ करते हुए संस्थापक अध्यक्ष ने कर्त्तव्य बोध का उल्लेख कर मंच को गतिशील बनाने का आह्वान किया और कहा कि मंच को जीवन्त बनाने के लिए सार्थक प्रयास करने होंगे। विश्वशान्ति और विश्व एकता का विचार सर्वग्राह्य है। राजीव राठी ने विश्वशान्ति के सूत्रों का संयोजन कर ध्यान सिद्धि की ओर अग्रसर होकर परमाणु बम की जगज प्रेम बम विस्फोट करने पर बल दिया। ज्वालाप्रसाद शाडिल्य ने विश्व एकता मंच के विचारों को समाज में प्रसारित-प्रचारित करने पर बल दिया।
डा॰ एस.पी. सुन्दरियाल ने मंच के उद्देश्यों का प्रचार-प्रसार कर युवाशक्ति को मंच से जोड़ने पर बल दिया। इसके लिए मंच को समाज में भागीदारी करनी पडे़गी। विश्नोई ने पारिवारिक संयोजन में समरसता और साामाजिक शान्ति लाने पर जोर दिया। अश्विनी सैनी ने कहा कि पूर्व में भारत के अनेक महापुरूषों ने दुनिया को विश्वशान्ति के सन्देश दिये। भारत सभी प्रकार की शिक्षा का केन्द्र था। मध्यकाल में आंक्रान्ताओं ने भारत को काफी नुकसान पहुंचाया। विश्व एकता मंच ने विश्व शान्ति व विश्व एकता को पुनः स्थापित करने का जो प्रयास आरम्भ किया है वह भविष्य में निश्चित ही फलीभूत हो सकेगा। वेदभूषण त्रिपाठी ने ‘माँ गंगा’’पर कविता पाठ का सबक मन मोह लिया।