शांतिकुंज में नवरात्र अनुष्ठान प्रारंभ, विभिन्न राज्यों से गायत्री साधक पहुँचेह
रिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि आध्यात्मिक व्यक्तित्व के विकास हेतु साधना आवश्यक है। साधना से ही साधक का चहुंमुखी विकास संभव है।
श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या आश्विन नवरात्र साधना में जुटे साधकों को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर डॉ.पण्ड्या ने कहा कि व्यक्ति के गुण, कर्म व स्वभाव का समुच्चय ही व्यक्तित्व है, जो कि उसके चिंतन, चरित्र व व्यवहार के माध्यम से अभिव्यक्त होता है। अध्यात्म विज्ञान के प्रखर वक्ता ने कहा कि साधना से व्यक्तित्व निरंतर परिष्कृत होता है। विश्व भर में जितने भी ऋषि-मुनि एवं समाज सुधारक हुए हैं, सबके जीवन में ऐसा ही देखने को मिलता है। इस अवसर पर श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने श्रीमद्भगवतगीता में भक्त, भक्ति एवं भगवान की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इससे पूर्व शांतिकुंज के आचार्यों की टीम ने आश्विन नवरात्र के प्रथम दिन गायत्री साधकों को साधनाकाल में किये जाने वाले जप एवं दिनचर्या के बारे में विस्तृत जानकारी दी। नवरात्र साधना की शुरुआत ध्यान साधना एवं गायत्री हवन से हुआ, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आये साधकों ने यज्ञाहुतियाँ अर्पित की। देश विदेश के गायत्री परिजनों तक श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी के संदेश एवं शांतिकुंज की विभिन्न गतिविधियों को मीडिया टीम ने अपने यूट्यूब चैनल शांतिकुंज वीडियो से लाइव प्रसारित कर पहुंचाया। जिससे हजारों साधक लाभान्वित हुए।