पी.जी. कालेज कोटद्वार में इस बार नेट का रिजल्ट आने के बाद चारों ओर खुशियां छा गयी जब कई छात्रो ने डा.पी.डी.बडथ्वालस्नातकोत्तरमहाविद्यालय आकर अपने मार्गदर्शकों को नेट का परिणाम बताया । विशेषकर संस्कृत विषय में एम.ए.स्वर्णपदक प्राप्त करने वाली आंचल बिष्ट ने संस्कृत में नेट परीक्षा उत्तीर्ण कर स्वर्णिम इतिहास रचकर अन्य भाषाओं की श्रेष्ठता का दम्भ ही तोड दिया।
महाविद्यालयी इतिहास की स्वर्णिम देदीप्यमान नक्षत्र आंचल बिष्ट राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की संस्कृत विभाग की स्वर्णपदक प्राप्त करने वाली एम.ए. की छात्रा रही है उसने प्रथम बार में ही यू.जी. सी. नेट परीक्षा उतीर्ण की है। यही नहीं आंचल बिष्ट कोटद्वार कालेज की श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय बादशाहीथौल टिहरी गढ़वाल से स्वर्ण पदक विजेता भी रही है। संस्कृत विषय के प्रति पठन-पाठन में आंचल की विशेष रुचि थी इसी रुचि व उत्साह तथा लगन के कारण वह अपने मुकाम तक पहुंचने में सफल रही । यही नहीं बल्कि सफल परिश्रम के बलबूते पर वह वर्तमान में बी. एड में भी अध्यनरत है। उसका सपना है कि संस्कृत क्षेत्र मे वह उच्चशिक्षा में नई उपलब्धियों को प्राप्त कर सके सही मायने में वह अपने मार्गदर्शिकाओं के पदचिह्नों पर चलकर प्रोफेसर बनना चाहती है ।
आंचल बिष्ट ने प्रारभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मन्दिर चैलूसैंण, से कक्षा 9 से 12 तक रा. इ. का. चैलूसैंण और B.A. डिग्री कालेज कोटद्वार भाबर से उत्तीर्ण किया व वर्तमान वह बीएड की भी छात्राध्यापिका है । आंचल उत्तराखण्ड के ग्राम जुडू की निवासी है उसके परिवार में पिता श्री देवेन्द्रसिंहबिष्ट माता देवेश्वरीबिष्ट तथा भाई अक्षय बिष्ट है।
आंचल की शैक्षणिक रुचियों में स्वर्ग पदक बिजेता, नेट परीक्षा उत्तीर्ण करना, बी. एड. में अध्ययनरत, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा उत्तीर्ण करना ऐसी अनेक उपलब्धियों का श्रेय रहा है उसने इन उपलब्धियों का श्रेय , महाविद्यालय की प्राचार्या, संस्कृत विभाग के प्राध्यापकों अपने माता-पिता भाई को बताया। छात्रा का कहना है कि वास्तव में प्राचार्या मैम की खुशी भावविभोर करने वाली रही । उनकी खुशी को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द ही नही है।
ऐसी अनेकानेक उपलब्धियों को प्राप्त करने हेतु प्राचार्या प्रो० जानकी पंवार ने छात्रा को पुरस्कृत कर उज्ज्वल भविष्य हेतु निरन्तर अग्रसर होने के लिए कहा और कर्म ही सफलता प्राप्ति का सोपान है कहकर आशीर्वाद दिया।
संस्कृत विभाग प्रभारी डॉ० अरुणिमा ने कहा कि प्रतिभाएं संस्कृत में भी निखर सकती है यह उदाहरण आज हमारे सामने है उन्होंने कहा कि प्राचार्या मैम ने भावुक होकर तत्काल छात्रा को अपने कण्ठ से लगा लिया यह दृश्य सबके लिए अति भावुक रहा सभी लोग अतिप्रसन्न हुए उन्होंने संस्कृतविभाग के प्राध्यापिकाओं का धन्यवाद किया कि विषम परिस्थितियों में उन्होंने छात्र-छात्राओं की प्रतिभाओं को निखारा है। डा.अरुणिमा ने भी छात्रा को पुरस्कृत कर पी.एच.डी. हेतु प्रेरित कर शुभकामना दी। साथ ही डॉ० रोशनी असवाल, प्रियम अग्रवाल ने भी हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएं दी। संस्कृतसमाजसेवी व संस्कृतभारती के पौडी सहसंयोजक तथा राजकीय इंटर कालेज कोटद्वार में संस्कृत प्राध्यापक कुलदीप मैन्दाला ने महाविद्यालय की प्राचार्या व संस्कृतविभागप्रभारी व मार्गदर्शिकाओं का अभिवादन कर आभार व्यक्त किया है कि ऐंसे उपलब्धिवान मार्गदर्शिकाओं और उपलब्धिवान् छात्रा से संस्कृत जगत् की ख्याति बढी है । आधुनिक समाज में जहां लोग संस्कृत से दूर भागते हैं वहीं आंचल ने वास्तव में छात्र छात्राओं के लिए अद्भुत मिशाल पेश की है।