संस्कृत को जनभाषा बनाने के लिए उत्तराखण्ड के लोग जुटेंगे कण्वनगरी में

उत्तराखंड

 5 जून से कोटद्वार में शुरु होगा संस्कृतभारती का वर्ग

-कुलदीपमैन्दोला। कोटद्वार।
संस्कृत को जन भाषा बनाने के लिए संस्कृत भारती 1981 से प्रचार प्रसार का कार्य कर रही है। संस्कृत भारती न्यास के नाम से पंजीकरण 1995 में दिल्ली में हुआ। यह विश्व का प्रथम न्यास है, यह संगठन बगैर सरकारी सहायता के जन सहभागिता एवं जन सहयोग से ही चलता है इसमें कार्यकर्ताओं का त्याग समर्पण और परिश्रम ही संस्कृत भारती के कार्य का आधार है।

उत्तराखंड में 1996 से संस्कृत भारती का कार्य प्रारंभ हुआ और संस्कृत भाषा को बोलचाल की भाषा बनाने के लिए हजारों संभाषण शिविर आवासीय प्रशिक्षण वर्ग प्रबंधन वर्ग सम्मेलन आदि कार्यक्रमों का आयोजन समय समय पर किया गया प्रत्येक वर्ष में संस्कृत भारती के द्वारा जून माह और दिसंबर माह में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें कई लोग संस्कृत बोलना सीखते हैं। संस्कृत भारती के इस प्रयास से आज 22 देश में संस्कृत बोलने वाले लोग हैं जिसमें 10 करोड़ से ज्यादा लोग संस्कृत में बातचीत कर सकते हैं कई जगह कार्यकर्ता सरल संस्कृत संभाषण के माध्यम से लोगों को संस्कृत बोलना सिखा रहे हैं। संस्कृत के इसी प्रचार प्रसार के क्रम में संस्कृत भारतीय उत्तरांचल के द्वारा जून माह के वर्ग का आयोजन कोटद्वार में किया जा रहा है। इस बार संस्कृतबोलने वाले उत्तराखण्ड के लोग कोटद्वार में जुटेंगे।

सरस्वती विद्या मंदिर जानकीनगर कण्वनगरी कोटद्वार में दस दिवसीय आवसीय प्रबोधनवर्ग दिनांक ०५ जून २०२४ से १३ जून २०२४ तक प्रारम्भ हो रहा है । इसके लिए संस्कृतभारती के कार्यकर्ताओं की एकदिवसीय संगोष्ठी प्रारम्भ हुई । जिसमें संस्कृत भारती के प्रांत संगठनमन्त्री प्रमुख श्री नरेन्द्र पण्ड्या जी ने बताया कि संस्कृत भारती के द्वारा समय समय पर शिविर का आयोजन किया जाता है। संस्कृत भारती के प्रान्त मंत्री श्री गिरीश तिवारी ने कहा संस्कृत शिविर में सम्पूर्ण भारत के लोग प्रतिभाग करेंगे। इस संस्कृत शिविर में ग्यारहवीं कक्षा से लेकर प्रबुद्ध जन ,भाषा शिक्षक,गृहणी,संस्कृत भाषा प्रेमी प्रतिभाग करेंगे।

प्रान्तसहमंत्री डाॅ० हरीश गुरुरानी ने कहा कि सभी भाषाओं की जननी कहीं जाने वाली संस्कृत भाषा आज विदेश में भी पढाई जा रही है किन्तु अपने लोग ही संस्कृत भाषा का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। संस्कृत अगर लोग बोलने लगे तो घर में संस्कार अपने आप आ जायेंगे। जनपद संयोजक पंकज ध्यानी ने कहा कि कोटद्वार में पहली बार शिविर का आयोजन किया जा रहा है। संस्कृत से ही भारत की पहचान है। पूर्व में कण्वाश्रम कोटद्वार में ऋषि कण्व द्वारा संस्कृत भाषा का अध्ययन अध्यापन कराया जाता था।

जनपद शिक्षण प्रमुख कुलदीप मैंदोला ने कहा कि शिविर में बालक एवं बालिकाओं के लिए पृथक पृथक आवासीय व्यवस्था है लगभग 100 शिक्षार्थी इसमें प्रतिभाग करेंगे। सिद्धार्थ नैथानी ने कहा कि कण्वनगरी कोटद्वार के सभी प्राईवेट स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएँ एवं छात्र छात्राओं को इसमें अवश्य प्रतिभाग करना चाहिए। शिविर को सम्पन्न कराने हेतु कुछ दायित्व भी दिए गए जिसमें कार्यालय प्रमुख कवि रोशन बलूनी एवं डाॅ० विश्वक्सेनदुदपुडी डाॅ० नवीन जसोला, कुलदीप मैंदोला, आचार्य रोशन गौड़, सिद्धार्थनैथानी, आवासीय व्यवस्था आचार्य इतेंद्र नैथानी, श्रीकान्तदुदपुडी, राकेशकण्डवाल:, कपिलध्यानी, सतीशदेवरानी, वर्गप्रणेता प्रधानाचार्य मनोजकुकरेती आदि उपस्थित रहे।

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