हिंदू नववर्ष एवं नवरात्रि
22 मार्च 2023 दिन बुधवार से नवरात्रि एवं हिंदू नूतन वर्ष का आगमन हो रहा है।
*नवरात्रि संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रात्रों एवं दस दिनों में देवी दुर्गा /शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना का विधान है*।
इस वर्ष नवरात्रि पर 4 ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा इसी के साथ नव संवत्सर के राजा बुध और मंत्री शुक्र देव होंगे देव गुरु बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में चतुर्थ ग्रही योग बनाकर विराजमान रहेंगे इसके अतिरिक्त शनिदेव अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान होकर शुभ फल प्रदान करेंगे। नवरात्रि के मध्य क्रमस: 23 मार्च 24, 27 एवं 30 मार्च को सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होगा इसके अतिरिक्त 27 मार्च एवं 30 मार्च को अमृत सिद्धि योग बनने से सभी कार्य सिद्ध एवं शुभ फल प्रदान करेंगे।
*माता के आगमन एवं प्रस्थान की सवारी*
देवी शक्ति का वाहन शेर होता है परंतु देवी जब भी पृथ्वी लोक पर विचरण करती हैं तो अलग वाहन पर सवार होकर आती है जोकि सप्ताह के दिनों पर निर्भर करता है। नवरात्र का प्रारंभ बुधवार को को होने से देवी दुर्गा नौका पर सवार होकर पृथ्वी लोक में विचरण करेंगी। नौका पर सवार होकर आने का अर्थ सर्वसिद्धिदायक होता है शुभ फलों की प्राप्ति होगी वर्षा पर्याप्त मात्रा में होगी। भौतिक सुख सुविधाओं में वृद्धि होगी सभी मनोरथ पूर्ण होंगे।
*पूजा का शुभ मुहूर्त*
22 मार्च को अभिजीत मुहूर्त नहीं है अतः प्रातः एक सुनिश्चित समय के उपरांत दुष्ट मुहूर्त(12:04 से 12:52) के बाद ही घटस्थापना की जाएगी। इसके अतिरिक्त राहु काल में भी घट स्थापना करने से बचें।
घटस्थापना शुभ मुहूर्त 22 मार्च 2023 प्रातः 6: 29 से 7: 39 तक घट स्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा।
राहुकाल अपराहन 12:28 से 1: 59 तक।
*पूजा विधि*
ब्रह्म मुहूर्त में जागें नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करने के उपरांत संपूर्ण घर और पूजा स्थल को स्वच्छ करने के बाद घर में गंगाजल वह गोमूत्र से छिड़काव करें व पूजा स्थल पर आसन ग्रहण करें। माता रानी को गंगाजल से स्नान करा लाल वस्त्र और सोलह सिंगार समर्पित करें। स्वच्छ स्थान से मिट्टी लेकर, मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं।
-अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें। आम के नौ पत्तों को कलश के ऊपर रखें। नारियल में कलावा लपेटे। उसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें। घटस्थापना पूरी होने के पश्चात् मां दुर्गा का आह्वान करें । घी का दीपक जलाएं कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप नैवेद्य, फल अर्पित करें । दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। घी के दीपक से मां दुर्गा की आरती करें। मां शैलपुत्री को गाय के दूध से बने हुए पकवानों का भोग लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त मीठा पान अवश्य चढ़ाएं और गुड़ का भोग भी आप लगा सकते हैं।
सायं काल अपने घर के मुख्य द्वार पर नौ दीपक अवश्य जलाएं सभी कष्टों का नाश होगा।
*ज्योतिषाचार्य डॉ मंजू जोशी*
*8395806256*