अरुण पाठक, प्रो. ईश्वर भारद्वाज सहित चार को मिला दीपशिखा सम्मान

हरिद्वार उत्तराखंड

Haridwar.दीपशिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच के संस्थापक एवं साहित्यकार स्व. के. एल. दिवान की 89वें जन्म जयंती तथा संस्था के स्थापना दिवस के उपलक्ष में  दीपशिखा सम्मान समारोह एवं सरस कवि गोष्ठी का आयोजन माडल कालोनी स्थित एक होटल में सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम के प्रथम चरण में माँ शारदे के सम्मुख दीप प्रज्जवलन, प्रेम शंकर शर्मा ‘प्रेमी’ की वाणी वंदना तथा पुष्पार्पण के उपरान्त हिंदी, संस्कृत एवं योग के विशिष्ट विद्वान, लेखक एवं योगाचार्य प्रो. ईश्वर भारद्वाज को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए ‘के.एल. दिवान साहित्य साधक सम्मान-2023’, कवि अरुण कुमार पाठक को‌ आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रकाशित उनके काव्य संकलन‌ ‘आज़ादी के परवाने’ के लिये ‘दीपशिखा सारस्वत सम्मान-2023, कवि तुषार कांत पाण्डेय को उनकी हास्य-व्यंग्य विधा’ के लिये ‘माँ शारदे वरदहस्त सम्मान-2023’ तथा उभरती कवियत्री एवं चित्रकार सुश्री वृंदा शर्मा को उनकी दस श्रेष्ठ कविताओं के लिये ‘उदीयमान प्रतिभा सम्मान-2023’ से सम्मानित किया गया। यह सभी सम्मान दीपशिखा की अध्यक्षा डा. मीरा भारद्वाज, उपाध्यक्ष उमेश शर्मा, सचिव डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित’ तथा सह-सचिव प्रफुल्ल ध्यानी द्वारा प्रदान किए गये, जिसके अन्तर्गत सम्मानित साहित्यकारों को माला, दुशाला, प्रतीक चिन्ह तथा साहित्य भेंट किया। साथ ही सम्मानित साहित्य साधकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भी प्रकाश डाला गया। पिछले दिनों पीटर्सबर्ग व अलमाटी में हुईं दो अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पांच स्वर्ण पदक जीतने वाली पावरलिफ्टर संगीता राणा को भी दीपशिखा मंच से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर दीपशिखा की अध्यक्षा डा. मीरा भारद्वाज ने चारों साहित्य साधकों को बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि साहित्यकार के.एल. दिवान का साहित्यिक जीवन भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी मधुर स्मृतियाँ आज भी हम सब के साथ हैं। संस्था सचिव डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित’ ने कहा कि दिवान जी के जन्मोत्सव एवं अपने स्थापना दिवस पर दीपशिखा प्रति वर्ष एक साहित्य कार्यक्रम करती है। सह-सचिव प्रफुल्ल ध्यानी ने सभी का धन्यवाद करते हुए बताया कि दीपशिखा साहित्य साधकों को सम्मानित करने के साथ-साथ, नए कवियों, लेखकों तथा प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का प्रयास भी करती है।
कार्यक्रम के द्वितीय चरण में कवि गोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसमें डा. मीरा भारद्वाज ने- ‘प्रेम भक्ति में डूबी शबरी जूठे बेर खिलाती है’ के साथ प्रेम रस घोला। सुशील कुमार त्यागी’अमित’ ने कामना की ‘पाप ताप संताप से जीवन बचा रहे मानव का’, तो अरुण कुमार पाठक ने गीत- ‘बहुत कहना है मुझे तुमसे, तुम सुनो तो कहूँ’, प्रस्तुत किया। प्रफुल्ल ध्यानी ने बताया- ‘यकीं करता हूँ सुकरात के प्याले पर’, तो डा. अशोक गिरी ने ‘हिन्दी आज परिहास का विषय बन गयी है, उत्तर में नायिका दक्षिण में खलनायिका बन गयी है’ के साथ हिन्दी की बात की। कंचन प्रभा गौतम ने सीख दी- ‘दुनिया तो पत्थर मारेगी, तुम चुन कर महल बना लेना’, साधु राम पल्लव ने समझाया- ‘जीवन योग कहा ऋषियों ने, तुम इसको भोग न समझो तो वृंदा शर्मा ने गीत- ‘खिलूँ झरूँ महकूँ महकाऊँ, तुमको हार सिंगार से’ सुनाकर वाह-वाही लूटी।
गोष्ठी में अरविंद दुबे, सुभाष मालिक, डा. विजय त्यागी, शशि रंजन समदर्शी, महेश भट्ट, डा. निशा शर्मा ने, देवेंद्र मिश्रा, मदन सिंह यादव, तुषार कांत पाण्डेय, प्रेम शंकर शर्मा ‘प्रेमी, सुन्दर सिंह, डा. विजय त्यागी, डा. रजनी रंजना, डा. सुरेन्द्र शर्मा आदि ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन डा. सुशील कुमार त्यागी अमित ने किया। प्रो. ईश्वर भारद्वाज, डा. राधिका नागरथ, अनिल दीवान, मोनिका दीवान, चेतना पाण्डेय, मिथलेश भारद्वाज आदि ने भी स्व. के. एल, दिवान को भावांजलि प्रस्तुत की।

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