हरिद्वार।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री साधना में मंत्र संख्या के स्थान पर साधना की गहराई को बढ़ाना चाहिए। साधना की गहराई से ही साधक में ओजस, तेजस और वर्चस बढ़ता है और यही साधक को मनोवांछित फल देता है। साधक के व्यक्तित्व को निखारता है। गायत्री परिवार के अभिभावक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या शांतिकुंज में अंतेवासी कार्यकर्त्ताओं की एक विशेष संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आगामी तीन वर्षों में ग्रह नक्षत्रों के विपरीत प्रभावों से लेकर कई अन्य प्रतिकूल परिस्थिति के लक्षण दिख रहे हैं। इन परिस्थितियों से अपने परिवार को गायत्री साधना से उत्सर्जित ऊर्जा से बचाया जा सकता है। गायत्री मंत्र के साथ सूर्य की उपासना करने से ग्रहों की अनुकूल बढ़ेगी। यह क्रम साधना बैंक बनाने की तरह है। इन तीन वर्षों में अरबों गायत्री मंत्र की साधना होनी है। आप सभी अभी से अपनी साधना में संख्या के साथ गहराई को बढ़ाने में जुट जाइये। उन्होंने कहा कि साधना के साथ सत्साहित्यों का नियमित स्वाध्याय, चिंतन और मनन करें तथा आत्मीयता विस्तार के लिए अपने अंदर सकारात्मक पक्षों का विस्तार करें और नकारात्मक विचारों को कूड़े की तरह बाहर निकाल फेंके। गायत्री परिवार के अभिभावक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि मन को साधने में साधना के साथ आहार संयम का विशेष योगदान है।
शांतिकुंज की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने गायत्री परिवार की संस्थापिका वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा की जन्मशताब्दी वर्ष 2026 तक चलने वाले साधना अनुष्ठान के क्रम में मनोयोगपूर्वक जुट जाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि साधना ही जीवन की धुरी है। समस्त विश्व को आने वाले संकटों से गायत्री मंत्र की सामूहिक साधना से बचाया जा सकता है। सामूहिक शक्ति ही संघशक्ति का परिचायक है। इस अवसर पर व्यवस्थापक श्री महेन्द्र शर्मा, श्री शिवप्रसाद मिश्र, डॉ ओपी शर्मा सहित शांतिकुंज के अंतःवासी कार्यकर्त्तागण उपस्थित रहे।