धर्म और धार्मिक स्थल संस्कार एवं संस्कृति के संवाहक होते हैं जो मानव जीवन को सार्थकता प्रदान करने के लिए सकारात्मक विचारधारा का संचार करते हैं। महापुरुषों की प्रेरणा व्यक्ति को सन्मार्ग पर चलने का आवाहन करती है जिससे संस्कारित समाज का सृजन होता है। उक्त उद्गार हैं श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वतीजी महाराज के जिन्होंने नवरात्र साधना में सम्मिलित भक्तों को आशीर्वचन देते हुए व्यक्त किये।
विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में आयोजित शक्ति उपासना अनुष्ठान को जीवनोपयोगी बताते हुए उन्होंने कहा कि 9 दिन की व्रत साधना व्यक्ति की दिनचर्या को संवल प्रदान करती है जो साधक को ऋतु परिवर्तन के दुष्परिणामों को सहन करने की शक्ति प्रदान करते हैं। देवभूमि उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश को भारतमाता की आत्मा बताते हुए उन्होंने कहा कि गंगा और यमुना के मध्य क्षेत्र के निवासी सौभाग्यशाली हैं जिनको त्रेता अवतारी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और द्वापर अवतारी भगवान श्रीकृष्ण के अ्वतरण क्षेत्र में जन्म लेने का अवसर प्राप्त हुआ।
काशी और हरिद्वार की यात्रा जहां भगवान महादेव और मां गंगा के मोक्ष- दायिनी स्वरूप का सानिध्य प्रदान करती है वहीं हिमालय की चारधाम यात्रा करने वालों को धार्मिक पुण्य लाभ के साथ ही साधक को प्रकृति के अनुरूप अंतरशक्ति एवं मानसिक विकास को ऊर्धगामी करती है।नवरात्र साधना की पूर्णाहुति पर होने वाले कन्या पूजन को संस्कार एवं संस्कृति का संवाहक बताते हुए कहा कि नारी शक्ति का सम्मान व्यक्ति के सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है ।
तीर्थ स्थल और गुरुगद्दी पर होने वाले अनुष्ठान को महान पुण्य फलदायी बताते हुए उन्होंने कहा कि दान और पुण्य की जड़ पाताल से आकाश तक महाफलदायी होती है। दान से धन पवित्र भी होता है और उसमें उत्तरोत्तर वृद्धि भी होती है । इस अवसर पर देश के अनेक भागों से पधारे श्रद्धालुओं के साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित थे।