अंतराष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह – 2024 के उपलक्ष्य में आध्यात्म प्रेरित सेवा संस्थान मातृभूमि सेवा मिशन कुरुक्षेत्र द्वारा 25 नवम्बर से 11 दिसम्बर 2024 तक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
01 दिसम्बर 2024 को अंतराष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह – 2024 के उपलक्ष्य में आत्मनिर्भर एवं विकसित भारत के निर्माण में श्रीमद्भगवद्गीता का परिप्रेक्ष्य विषय पर एक अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होगा।
कुरुक्षेत्र/
अंतराष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह – 2024 के उपलक्ष्य में आध्यात्म प्रेरित सेवा संस्थान मातृभूमि सेवा मिशन कुरुक्षेत्र द्वारा 25 नवम्बर से 11 दिसम्बर 2024 तक अठारह दिवसीय श्रीमद्भगवद्गीता के मूल्यों को समर्पित कार्यक्रम संपन्न होगें। यह जानकारी देते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र यह बताया अठारह दिवसीय कार्यक्रम का दिव्य एवं भव्य शुभारम्भ 25 नवम्बर 2024 को श्रीमद्भगवद्गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में लोकमंगल के निमित्त विश्वकल्याण महायज्ञ से होगा। 26 से 31 नवम्बर तक विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में गीता संवाद कार्यक्रम का आयोजन होगा। 01 दिसम्बर 2024 को आत्मनिर्भर एवं विकसित भारत के निर्माण में श्रीमद्भगवद्गीता का परिप्रेक्ष्य विषय पर एक अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होगा। 02 दिसम्बर से 05 दिसम्बर तक स्कूली विद्यार्थियों के सर्वागीण के लिए विभिन्न विधाओं में अनेक विद्यालयों में गीता बाल संवाद का आयोजन होगा होगा। 06 से 10 दिसम्बर तक युवा पीढ़ी में सामाजिक दायित्व बोध के जागरण के लिए विभिन्न विषयो पर गीता युवा संवाद कार्यक्रम का आयोजन होगा। 11 दिसम्बर 2024 को गीता जयंती पर अंतराष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह – 2024 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित अठारह विश्व कल्याण महायज्ञ की पूर्णाहुति एवं श्रीमद्भगवद्गीता परिचर्चा का कार्यक्रम गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में वैदिक विधि विधान से सम्पन्न होगा। इन समस्त कार्यक्रमों मे देश के अनेक संत, महात्मा, महामंडलेश्वर सहित अनेक विश्वविद्यालयों के आचार्य, विद्यार्थी, शोधार्थी, गीता प्रेमी, गीता श्रद्धालु एवं मारिशस, श्रीलंका, टोबैगो एंड ट्रीनिनाड, फिजी, जर्मनी अनेक अनेक देशो के प्रतिनिधि उपस्थित होंगे।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र से प्रतिवर्ष श्रीमद्भगवद्गीता जयंती पर सम्पूर्ण विश्व को गीता का पावन संदेश प्राप्त हो रहा है, है वास्तव में अद्भुत है।श्रीमद्भगवद्गीता
मृत्यु के प्रसंग पर दोहराई जाने वाली धार्मिक क्रिया का हिस्सा भर नहीं है। वह जीवन से भरपूर है। उसमें पद–पद पर संकेतक लगे हुए हैं, जो भगवान द्वारा निर्दिष्ट है।श्रीमद्भगवद्गीता हमें एक सुरक्षित संकल्प देती हैं। वह संकल्प हमें मान्यताओं, जड़ हो चुकी प्रथाओं, अंधविश्वासों और इतिहास के निर्णयों से मुक्त कर ऐसे वृहत्तर संसार में ले जाती है, जहां सुंदर भविष्य हमारी प्रतिक्षा कर रहा है, जहां विश्वास की अग्नि प्रज्वलित है, जहां अगणित संभावनाएं हमारे सामने खुलने के लिए खड़ी हुई मिलती हैं। श्रीमद्भागवतगीता भारतीय धर्म और दर्शनशास्त्र के साथ उस अध्यात्म–विद्या का भी स्थापित ग्रंथ है, जिसने मनुष्य जाति को आत्मा की अमरता का संदेश दे कर कर्मशील जीवन की आधारशिला रखी। यहां जो बात सबसे अधिक ध्यान देने की है, वह है– भगवान का उस युवक के साथ संवाद, जो निराश है, कर्म से छुटकारा चाहता है और आत्मा संताप से घिरा हुआ उदासीनता के किनारे निढाल बैठा है। यहां संकेत यह भी है कि आप चाहे जितने भी नीचे आ जाएं, भगवान आपकी उंगली छोड़ते नहीं । वे अंत तक चाहते हैं कि मनुष्य उनका सहारा लेकर ऊपर उठ जाए।