दीपावली पर्व 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना उत्तम है: डॉ. प्रदीप जोशी ज्योतिषाचार्य

उत्तराखंड धर्म

प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रदीप जोशी हरिद्वार का कहना हैं कि वर्ष 2024 में दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाई जानी चाहिए। राजमार्तण्ड ग्रंथ के अनुसार लक्ष्मी जी की पूजा सदैव उसी दिन करनी चाहिए, जिस दिन कर्मकाल में तिथि की प्रप्ति हो रही हो। यह चतुर्दशी मिश्रित अमावस्या में करनी चाहिए। व्यास, गर्ग आदि ऋषियों ने इस प्रकार का विधान किया है। सूर्य सिद्धांत के आधार पर भी यही बात तर्क संगत बठैती है।

डॉ. प्रदीप जोशी का कहना हैं कि 31 अक्टूबर की शाम 4 बजे के बाद सांयकाल में अमावस्या मिल रही हैं और इसी दिन पूरी रात अमावस्या तिथि है। गृहस्थों और तंत्र साधना वालों को प्रदोष काल में इसी दिन अमावस्या ग्राहा होनी चाहिए। कुछ लोगों ने शुक्रवार और प्रीतियोग के कारण 01 नवम्बर को दीपावली के महत्व को और अधिक बताया है। जबकि वार अथवा प्रीति योग का कोई महत्व दीपावली के लिए नहीं कहा गया है। दीपावली के लिए प्रदोष काल और निशीथ काल ही सर्वमान्य है। प्रदोष काल में लक्ष्मी, इन्द्र और कुबेर पूजन का विधान है। और अर्धरात्रि में महाकाली पूजन (वरदा लक्ष्मी पूजन) का महत्व है।

ज्योतिषाचार्य का कहना हैं कि प्रदोप काल 6 घटिका का होता है। ऐसी स्थिति में 31 अक्टूबर 2024 को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पूर्णतया मिल रही है। जबकि 01 नवम्बर को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या मात्र 2 घटिका है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए दीपावली पर्व 31 अक्टूबर को ही मनाया जाना उत्तम है।

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