होलाष्टक 17 मार्च रविवार से होंगे प्रारंभ और 25 मार्च सोमवार को होंगे समाप्त: महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य

धर्म

होलाष्टक 17 मार्च रविवार से होंगे प्रारंभ और 25 मार्च सोमवार को होंगे समाप्त :- महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य।

– होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से फाल्गुन पूर्णिमा तक रहते हैं। होलाष्टक के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एंव वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया की होली के पर्व से आठ दिन पहले होलाष्टक प्रारम्भ होते हैं इस वर्ष 17 मार्च रविवार से होलाष्टक शुरू होंगे और 25 मार्च सोमवार को समाप्त होंगे। होलाष्टक के दिनों में आप भगवान के भजन, कीर्तन, पूजा पाठ जैसे कार्य कर सकते हैं,इनके लिए कोई भी मनाही नहीं होती है,किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य की सलाह पर आप अपने उग्र ग्रहों की शांति के लिए उपाय कर सकते हैं। परन्तु कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह,शिलान्यास, ग्रह प्रवेश,मुंडन आदि वर्जित हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार अनुसार अगर कोई व्यक्ति होलाष्टक के दौरान कोई मांगलिक काम करता है तो उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

धर्मग्रंथों के अनुसार राजा हिरयकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान श्री विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहते थे,भगवान विष्णु जी की भक्ति से रोकना चाहते थे। लेकिन भक्त प्रह्लाद जी ने अपने पिता कि बात को नहीं मानते हुए भगवान श्री विष्णु जी भक्ति पूजा पाठ कर रहा था। इस कारण राजा हिरयकश्यप अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद से नाराज होकर राजा हिरयकश्यप ने प्रह्लाद को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक बहुत प्रकार से यातनाएं दी । उसे मृत्यु तुल्य कष्ट दिया। भक्त प्रह्लाद को मारने का भी कई बार प्रयास भी किया गया। भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ फिर राजा हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को जिम्मा सौंपा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह अग्नि में नहीं जल सकती होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाती है मगर भगवान श्री विष्णु ने अपने भक्त को बचा लिया उस आग में होलिका जलकर मर गई लेकिन भक्त प्रह्लाद जी को अग्नि छू भी नहीं पायी। भक्त प्रह्लाद की भक्ति में इतनी शक्ति थी की भगवान श्री विष्णु जी ने हर बार उसके प्राणों की रक्षा की। इन आठ दिनों में भक्त प्रह्लाद के साथ जो हुआ उसी कारण होलाष्टक लगते हैं।

अगर आपका स्वास्थ ठीक है तो होलाष्टक के दिनों में व्रत किया जा सकता है, दान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। इन दिनों में सामर्थ्य अनुसार फल, मिठाई, अनाज, वस्त्र, अन्न, धन इत्यादि का दान किया जाना अनुकूल फल देने वाला होता है।

महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) प्रधान श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट(पंजीकृत) रायपुर ठठर जम्मू कश्मीर।
संपर्क सूत्र : 7006711011.

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