अहिल्या उद्धार, सीता स्वयंवर की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता

धर्म

अहिल्या उद्धार, सीता स्वयंवर का कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता ।
देवरिया, बैतालपुर क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम खिरहा में स्थित श्रीधाम मंदिर पर चल रहे हरिहरात्मक महायज्ञ के छठवें दिन श्रोताओं को प्रख्यात मानस मर्मज्ञ प्रेमभूषण महराज ने रामकथा मे अहिल्या उद्धार, सीता स्वयंवर का कारुणिक वर्णन किया।
श्रीधाम फाउंडेशन द्वारा करायी जा रही हरिहरात्मक महायज्ञ
में श्रोताओं को राम कथा का रसपान कराते हुए प्रेमभूषण जी महाराज ने अपने चौथे दिन की कथा में कहा कि, विश्वामित्र मुनि के साथ
श्री रामजी और लक्ष्मणजी जनकपुर के लिये चले। परन्तु सबसे पहले जगत को पवित्र करने वाली गंगाजी के पास पहुंचे। महाराज गाधि के पुत्र विश्वामित्रजी ने वह सब कथा कह सुनाई जिस प्रकार देवनदी गंगाजी पृथ्वी पर आई थीं । तब प्रभु ने ऋषियों सहित गंगाजी में स्नान किया। ब्राह्मणों ने भाँति-भाँति के दान पाए। फिर मुनिवृन्द के साथ वे प्रसन्न होकर चले और शीघ्रही जनकपुर के निकट पहुँच गए
श्री रामजी ने जब जनकपुर की शोभा देखी, तब वे छोटे भाई लक्ष्मण सहित अत्यन्त हर्षित हुये।
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मुनि संग भगवान राम और लक्ष्मण का नगर भ्रमण कौतुहल का विषय बना

बैतालपुर,जनकपुर में गुरु विश्वामित्र के साथ श्रीराम व लखन का नगर भ्रमण वहां के लोगों के लिए कौतुहल का विषय बन गया। नगर के लोग श्याम व गौर वर्ण के राजकुमारों को देखते अघा नहीं रहे। बार-बार इनको देखने के लिये भीड़ लग जाती है। महाराज जनक ने गुरु विश्वामित्र को अपने शिष्यों के साथ सीता स्वयंवर में सादर आमंत्रित किया। उचित व शुभ मुहूर्त में राजा जनक और गुरु की आज्ञा से सुहागिन स्त्रियां व सखियां जगत जननी सीता को लेकर स्वयंवर सभा में आती हैं। अपने हाथों में वरमाला लिये सीता जी की सुंदरता अनुपम व अद्वितीय लग रही है।
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भगवान राम ने तोड़ा धनुष, गगन से देवताओं ने बरसाया पुष्प

बैतालपुर,प्रेमभूषण जी ने गीत के माध्यम से माता सीता की सुंदरता का वर्णन किया। राजा जनक की आज्ञा पाकर उपस्थित राजा धनुष को उठाने की असफल चेष्टा करते हैं। कोई धनुष को हिला नहीं पाता। यह देखकर राजा जनक बहुत लज्जित होते हैं। कहते हैं कि लगता है पृथ्वी वीरों से खाली हो गयी है। यह सुनकर लक्ष्मण जी खड़े हो जाते हैं। लक्ष्मण जी को अधिक क्रोधित होते देख भगवान श्रीराम ने इशारों से चुप कराया। गुरु विश्वामित्र ने शुभ मुहुर्त जानकर श्रीराम को धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की आज्ञा दी। प्रभु श्रीराम ने एक ही झटके में शिव के धनुष को बीच से तोड़ दिया। चारों तरफ से जय जयकार व पुष्प वर्षा होने लगी।
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शिव के धनुष का अद्भूत रहस्य

बैतालपुर, प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि शिव का धनुष अन्य राजा क्यों नही उठा पाए, यह एक रहस्य है। बताया कि धनुष माता पृथ्वी की गोद मे था, जिसको माता पकड़े हुए थीं। माता तभी छोड़ती जब भगवान उठाते। माता को भी तब पता चलता जब शेषावतार लखन जी बताते। इसीलिये भगवान राम के द्वारा धनुष उठाने से पहले लक्ष्मण जी ने धरती से धनुष को छोड़ने के लिये कहा। यही नहीं, धनुष उठने के बाद धरती डोलने न लगे, इसकी जिम्मेदारी भी लक्ष्मण ने संभाली। उसके बाद प्रभु श्रीराम ने धनुष भंग किया।
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विवाह संस्कार है इसे संस्कार
मे रखे

बैतालपुर, प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि वर्तमान मे विवाह कैसे भी हो रहे है। न परिवार की जरुरत न मामा की जरुरत न गाँव वालो की जरूरत जिसकी जैसी मर्जी वैसे विवाह कर रहे है। विवाह संस्कार है उसे संस्कार मे ही रखे चाहे जैसे ना करे। आपने कहा कि यह भी देखने मे आ रहा है कि प्रेम विवाह करने वाले सबसे ज्यादा तलाक ले रहे है। जब प्रेम है तब तलाक कैसा ? प्रेम का मतलब अधिकार नही बल्कि समर्पण है। कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान राहुल मणि त्रिपाठी , चंद्रभाल मणि त्रिपाठी, चंद्रचूड़ मणि त्रिपाठी सप्तनिक व्यास पीठ का पुजन आरती किया , इस दौरान विधायक प्रदीप शुक्ल, विरेन्द्र शुक्ल, विधान परिषद सदस्य, प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा डा.धर्मेन्द्र सिंह , जिलाधिकारी देवरिया अखंड प्रताप सिंह भाजपा नेता, नीरज शाही, प्रमुख पवन कुमार गुप्त उर्फ पिंटू जयसवाल प्रो. हरिराम त्रिपाठी सिद्धार्थ मणि,डा. गंगाशरण पांडेय, हरिन्द्र तिवारी, धीरेंद्र मणि त्रिपाठी, डा. कृष्णमुरारी तिवारी, गजाधर मणि, मारकंडेय मणि, बसंत मणि, सुनील मणि, आदि उपस्थित रहे ।
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हम राम जी के है, राम जी हमारे हैं, सांसद रविकिशन शुक्ल

बैतालपुर क्षेत्र के श्रीधाम मंदिर परिसर में चल रहे नवदिवसीय हरिहरात्मक महायज्ञ में प्रेमभूषण महाराज के श्रीराम गोरखपुर सांसद रविकिशन ने जय श्रीराम का नारा लगवाया
श्री शुक्ल ने जब मंच से श्रीराम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में गाया तो पुरा पंडाल जय श्री राम के नारे से गूंज उठा।

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