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भागीरथ घांची
पिछलेकुछ सालों से देश में भारतीय संस्कृति से होने वाले विवाह समारोह में प्री वैडिंग के नाम पर एक नया प्रचलन सामने आया है। इसके तहत होने वाले दूल्हा-दुल्हन अपने परिवारजनों की सहमति से शादी से पूर्व फोटोग्राफर के एक समूह के साथ देश के अलग-अलग सैर सपाों की जगह, बड़ी होटलों, हेरिटेज बिल्डिंगों, समुन्द्री बीच व अन्य ऐसी जगहों पर जहाँ सामान्यतः पति पत्नी शादी के बाद हनीमून मनाने जाते हैं जाकर अलग- अलग और कम से कम परिधानों में एक
फिर ऐसी वीडियो फोटोग्राफी को शादी के दिन एक बड़ी सी स्क्रीन लगा कर जहाँ लड़की और लड़के के परिवार से जुड़े तमाम रिश्तेदार मौजूद होते हैं, की उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से उस जोड़े को वो सब करते हुए दिखाया जाता है जिनकी अभी शादी भी नहीं हुई है। जिनको जीवन साथी बनने के साक्षी बनाने और उन्हें आशीर्वाद देने के लिये ही सगे संबंधियों और सामाजिक लोगों को वहाँ बुलाया जाता है लेकिन यह क्या गेट के अंदर घुसते ही जो देखने को मिलता है वह शर्मसार करने
दूसरे की बाहों में समाते हुए वाला होता है। जिस भावी जोड़े वीडियो शूट करवाते हैं। को हम वहाँ आशीर्वाद देने पहुँचते हैं, वो वहाँ पहले से ही एक दूसरे की बाहों में झूल रहे होते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब दोनों परिवारों की सहमति से होता है। लड़का- लड़को कई दिन तक बाहर रह कर साथ में कई रातें बिता चुके होते हैं।
यह सब देख कर एक विचार मन में आता है जब सब कुछ हो चुका है तो आखिर हमें यहाँ क्यों बुलाया गया है। यह शुरुआत अभी उन घरानों से हो रही है, जो समाज के नेतृत्वकर्ता हैं जो समाज सुधार बहिष्कार करें। की दिशा में कार्यक्रम करते रहते हैं। ऐसे बड़े परिवार ऐसी
शादियों को जो अपने पैसों के बल पर इस प्रकार की गलत प्रवर्तियों को बढ़ावा देकर समाज के छोटे तबके के परिवारों को संकट में डाल रहे हैं। ऐसी शादियों का सामाजिक बहिष्कार करें।