ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य ने 2007 में आयोजित चतुष्पीठ सम्मेलन में ही अपने दोनों उत्तराधिकारीगणों को किया था प्रस्तुत
श्रृंगेरी। दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरीपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य भारती तीर्थ महास्वामी ने 12 सितम्बर 2022 ई. को ब्रह्मलीन शंकराचार्य के पंचभौतिक शरीर के समक्ष अभिषिक्त हुए ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती महाराज का श्रृंगेरीपीठ की अधिष्ठात्री देवी शारदाम्बा के मन्दिर में वैदिक मन्त्रोच्चार के बीच अभिषेक किया। अभिषेक से पूर्व उन्होंने दोनों जगद्गुरुओं को आशीर्बाद दिया और संस्कृत में उद्घोषणा की कि मैं ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वरत्वर जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज के करकमलसंजात दण्डी संन्यासी उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती का ज्योतिष्पीठ पर और स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती का पश्चिमाम्नाय द्वारकापीठ पर अभिषेक कर रहा हूॅ।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में बेंगलूरु में वेदान्त भारती संस्था द्वारा आयोजित चतुष्पीठ सम्मेलन में ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज ने इन दोनों को अपने उत्तराधिकारी के रूप में श्रृंगेरीपीठाधीश्वर भारती तीर्थ महाराज के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। उस समय ब्रह्मलीन शंकराचार्य महाराज ने यह भी बता दिया था कि मेरे ब्रह्मलीन हो जाने के पश्चात् आप इन दोनों के लिए अभिषिक्त हो जाने के बाद सभी आवश्यक धार्मिक कृत्य सम्पन्न कराएंगे।
उसी वचन का स्मरण एवं मान रखते हुए जैसे ही उनको द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरु महाराज के ब्रह्मलीन होने का समाचार प्राप्त हुआ, उन्होने अपने पीठ प्रशासक श्री वी आर गौरीशंकर जी को तत्काल भेजा और उनके अनुरोध का स्मरण करते हुए निजी सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द से अभिषेक-तिलक आदि उनका पांचभौतिक देह के समक्ष ही 12 सितम्बर 2022 को विधिवत् सम्पन्न कराया था।
सोमवार को शारदीय नवरात्र के पहले दिन अपने कर-कमलों से दोनो पीठों पर दो नये शंकराचार्यों का अभिषेक करने के पश्चात् शृंगेरीपीठाधीश्वर भारती तीर्थ महास्वामी ने कहा कि 20 दिन पश्चात् शुभ मुहूर्त में उनके उत्तराधिकारी स्वामी श्री विधुशेखर भारती जी महाराज द्वारकापीठ तथा ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय में जाकर जगद्गुरु पद पर आरूढ़ होने के पश्चात् के जो धार्मिक कृत्य किए जाते हैं, उन सभी का विधि-विधान से सम्पादन करेंगे।
श्रृगेरी के शंकराचार्य ने यह भी उद्घोषित किया कि वे एवं दोनो नये शंकराचार्य ,तीनों आम्नाय मठ एकजुट होकर सनातन धर्म का व्यापक प्रचार प्रसार करेंगे। श्रृगेरी महाराज ने दोनों नवनियुक्त शंकराचार्यों को सस्नेह रजत कमण्डलु भी भेंट किया और दोनों ने उनके प्रति गुरुवत् सम्मान एवं भावों से सिक्त अपने हृदय के उद्गारों को व्यक्त किया तथा तीनों मठों के एकजुट रहने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दुहराया।
इस महनीय अवसर पर ब्रह्मचारी ध्यानानन्द, ज्योतिर्मयानन्द ब्रह्मचारी, ब्रह्मचारी उद्धवस्वरूप , ब्रह्मचारी अचलानन्द, ज्योतिष्पीठ पण्डित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री, आचार्य पं राजेन्द्र द्विवेदी, भारत धर्म महामण्डल के आचार्य पं श्री परमेश्वर दत्त शुक्ल ,एवं काशी विद्वत् परिषद् के आचार्य पं कमलाकान्त त्रिपाठी , छत्तीसगढ से पं प्रकाश उपाध्याय, कैप्टन अरविन्द, आनन्द उपाध्याय , पं शैलेष , कृष्ण पाराशर आदि उपस्थित रहे। ज्योर्तिमठ प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंद आनंद ने बताया कि आगे भी अनेक स्थानों पर दोनो नये शंकराचार्यों के अनेक अभिषेक आयोजित किए जाएंगे।