श्रीमदभगवदगीता सनातन धर्म की ज्ञाननिधि में एक महामूल्य चिंतामणि रत्न के समान है : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

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अंतराष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2023 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के अष्टम दिवस श्रीमदभगवदगीता की उपादेयता विषय प गीता संवाद कार्यक्रम संपन्न

कुरुक्षेत्र। श्रीमदभगवदगीता में सांख्य, पातान्जल और वेदांत का समन्वय है | इस में ज्ञान, कर्म और भक्ति कि अपूर्व एकता है, आशावाद का निराला निरूपण है, कर्तव्य कर्म का उच्चतर प्रोत्साहन है और भक्ति-भाव का सर्वोत्तम प्रकार से वर्णन है। श्रीमदभगवदगीता तो आत्म-ज्ञान की गंगा है। कर्म-धर्म का, बन्ध-मोक्ष का इस में बड़ा उत्तम निर्णय किया गया है। गीता, भगवान् के सारमय, रसीले गीत हैं जिन में उपनिषदों के भावों सहित, भक्ति-भाव भरपूर समाया हुवा है और वेद का मर्म भी आ गया है। यह विचार अंतराष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2023 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के अष्टम दिवस श्रीमदभगवदगीता की उपादेयता विषय पर आयोजित गीता संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ मातृभूमि शिक्षा मंदिर के ब्रम्हचारियों द्वारा श्रीमदभगवदगीता के श्लोको के उच्चारण से हुआ। कार्यक्रम में पीलीभीत से सी.ए. संजय गुप्ता एवं संयुक्त राष्ट्र संघ, साउथ सूडान से अवकाश प्राप्त अधिकारी अजय मित्तल एवं पार्थको, मॉरीशस के प्रबंध निदेशक प्रणव मित्तल ,अमन पांडेय ने बतौर अतीविशिष्ट अतिथि उपस्थित रहकर उद्बोधन दिया।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा श्रीमदभगवदगीता सनातन धर्म की ज्ञाननिधि में एक महामूल्य चिंतामणि रत्न के समान है। योगेश्वर श्री कृष्ण भगवान् ने श्रीमदभगवदगीता रूपी हैं को बड़े सरल, अतिशय सुन्दर, अतीव सार गर्भित और अत्यन्त उत्तम रूप से व्यक्त किया है । श्रीमदभगवदगीता में सत्य का और तत्वज्ञान का निरुपण अत्युत्तम प्रकार से किया गया है । श्रीमदभगवदगीता के श्रवण, पठन, मनन और निश्चय करने से मनुष्य का अंतरात्मा अवश्य्मेव जागृत हो जाता है और् उस के चिदाकाश में सत्य के सूर्य का प्रकाश अवश्य ही चमक उठता है तथा उसके का परम कल्याण होने में कोई संदेह नहीं रह जाता । गीता के उपदेशामृत को भावना-सहित पान कर लेने से भगवदभक्त को परमेश्वर का परम धाम आप ही आप सुगमता से प्राप्त हो जाता कि। कार्यक्रम का समापन समस्त विश्वमानवता के मंगल के निमित्त शांतिपाठ से हुआ।

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