महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन में गीता जयंती कार्यक्रम में महंत रोहित शास्त्री मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे
जम्मू / उज्जैन| गीता जयंती के उपलक्ष्य में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन में कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम के अध्यक्ष महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति आचार्य प्रोफेसर विजय कुमार मेनन जी थे तथा मुख्य अतिथि के रूप में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट जम्मू एवं कश्मीर के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री उपस्थित रहे।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यातिथि महंत रोहित शास्त्री ने समाज से आग्रह करते हुए कहा की युवा पीढ़ी को भी गीता का ज्ञान होना चाहिए,श्रीमद्भगवत गीता का मानव जीवन के लिये बहुत अधिक महत्व है। इसका उपदेश मनुष्य को जीवन की वास्तविकताओं से परिचित करवाता है। उन्हें निस्वार्थ रूप से कर्म करने के लिये प्रेरित करता है। इन्हें कर्तव्यपरायण बनाता है। सबसे अहम बात यह भी है कि जब भी आप किसी भी तरह की शंका में घिरे हों, गीता का अध्ययन करें आपका उचित मार्गदर्शन अवश्य होगा। उन्होंने कुलपति जी द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उनके ऊर्जापूर्ण कार्य समाज के लिए दिशा देने वाले और उपकारी हैं। ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करके वे समाज को अपनी संस्कृति को अग्रेसर कर रहे हैं।
कुलपति जी ने अपने व्याख्यान में कहा कि गीता के अध्ययन, श्रवण, मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता का भाव आता है। गीता के श्लोकों में मात्र संदेश नहीं हैं बल्कि ये वो मूल मंत्र हैं जिन्हें हर कोई अपने जीवन में आत्मसात कर पूरी मानवता का कल्याण कर सकता है। गीता अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर आत्मज्ञान से भीतर को रोशन करती है। अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम, लोभ आदि से मुक्ति का मार्ग बताती है और हमें कर्म को अपने जीवन में मुख्य धर्म के रूप में धारण करने की प्रेरणा देती है। कुलपति जी ने कहा कि वे स्वयं भगवदगीता का पालन करते हुए कर्म को प्रधानता देते हैं और निरंतर अपने कार्यों को पूर्ण करने में लगे रहते हैं।
परीक्षा नियंत्रक एवं योग विभाग के अध्यक्ष डॉ उपेन्द्र भार्गव ने कहा कि गीता भगवान श्री कृष्ण द्वारा अपने भक्तों के उद्धार के लिये गाया हुआ मधुर गीत है। अर्जुन तो उसे हम तक पंहुचाने का एक सशक्त माध्यम हैं।
कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके उपरांत कुलपति जी ने महंत रोहित शास्त्री को शॉल श्रीफल और विश्वविद्यालय का साहित्य प्रदान कर सम्मानित किया। रोहित शास्त्री जी ने अपनी धर्मस्थली तथा नागदेवता पुस्तकें उन्हें भेंट कीं तथा जम्मू कश्मीर यात्रा पर आने का निमंत्रण दिया। कुलपति जी ने धर्मस्थली पुस्तक का अवलोकन किया और उसकी विषयवस्तु लेखन शैली तथा लेखों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे उचित अवसर पर अवश्य ही जम्मू आएंगे और और वहां के धर्मस्थलों का दर्शन करेंगे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ तुलसीदास परोहा, ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ शुभम शर्मा, वेदव्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ अखिलेश कुमार द्विवदी, डॉ संकल्प मिश्र एडवोकेट पवन खजूरिया आदि उपस्थित रहे।