वैश्विककारण की अंधाधुंध दौड़ में श्रीमद्भगवद्गीता दर्शन मानव जाति को आधार प्रदान करने वाला उचित संबल है: सुरेश भारद्वाज

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श्रीमद्भगवद्गीता में दर्शन, तत्व ज्ञान, नीति शास्त्र, आत्म ज्ञान, तथा मानवीय आदर्श की चरम पराकाष्ठा विद्यमान है-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र
गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में विगत एक वर्ष से चल रहे दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ का पूर्णाहुति कार्यक्रम संपन्न
कुरुक्षेत्र\
श्रीमद्भगवद्गीता एक धर्म ग्रंथ ही नहीं बल्कि उपदेशों का समग्र रूप है जो वैश्विक समाज में भी मानव जाति को जीवन जीने की अद्भुत कला से परिचित कराने में सफल है। इसके अंतर्गत कर्म योग, ज्ञान योग, सांख्य योग, वेदान्त योग, वैराग्य, दर्शन शास्त्र, भक्ति चेतना एवं एकेश्वर वाद का समावेश है। यह उदगार अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह-2022 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में आयोजित अठारह दिवसीय विश्वमंगल महायज्ञ के अष्टदशम् दिवस एवं दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ की पूर्णाहुति कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यातिथि हिमाचल सरकार के मंत्री सुरेश भारद्वाज एवं डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने संयुक्त रूप गीता जन्मस्थली स्थित गीता संदेश का साक्षी वट वृक्ष एवं ज्योतिसर के सरोवर के पूजन से किया। पूर्णाहुति कार्यक्रम में मातृभूमि शिक्षा मंदिर एवं कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय के ब्रह्मचारियों ने संयुक्त रूप से सस्वर श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठन किया
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में गीता में दर्शन, तत्व ज्ञान, नीति शास्त्र, आत्म ज्ञान, तथा मानवीय आदर्श की चरम पराकाष्ठा विद्यमान है। वैश्विक समाज में मानव जाति अपने देश की समृद्धिशाली दर्शन, योग, नीति, ज्ञान को विस्मृत करता जा रहा है। ऐसे समय में श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित गीता दर्शन से उचित कोई आलंबन नहीं जो मानव जाति को प्रेरणा दे सके। श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठ भूमि महाभारत युद्ध की है। यह महाभारत के भीष्म पर्व का अंक है। श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। श्रीमद्भगवद्गीता की गिनती प्रस्थान त्रयी में की जाती है जिसमे उपनिषद और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में समाविष्ट दार्शनिक विचारों का विश्लेषण, चिंतन व मूल्यांकन करके वर्तमान वैश्विक समाज की समस्याओं का निदान संभव है। श्रीमद्भगवद्गीता में आध्यात्म, मृत्यु क्षण में प्रभु स्मरण, स्मरण की कला, भाव और भक्ति, योग युक्त मरण के सूत्र, सृष्टि एवं प्रलय का वर्तुल, अक्षर ब्रम्ह और अंतर्यात्र जीवन ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन, तत्वज्ञ, श्रद्धा का अंकुरण, विराट की अभीप्सा, वासना और उपासना, करता भाव का अर्पण, नीति और धर्म आदि सम्मिलित हैं। डॉ- मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में अथाह ज्ञान है जो सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्र को स्वयं में समाविष्ट किये हुये है, इसमे सामाजिक समस्याओं का निदान, सांस्कृतिक आस्था की स्थापना, राजनीतिक दुविधाओं का समाधान व आर्थिक संकट से निपटने की युक्तियाँ भी विद्यमान हैं अतः श्रीमद्भगवद्गीता दर्शन के महत्व को समझना व आत्मसात करना आवश्यक है।
कार्यक्रम का संचालन धर्मपाल सैनी ने किया। आभार ज्ञापन अिखल भारतीय पत्रकार कल्याणमंच के अध्यक्ष पवन आश्री ने किया। मातृभूमि सेवा मिशन की ओर से ज्योतिसर तीर्थ की नित्य प्रति स्वच्छता करने वाले स्वच्छता कर्मियों जयपाल वेद, दर्शन कुमार, लक्ष्मण, जसवीर, रीना को मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वच्छता प्रहरी सम्मान से सम्मानित किया।
कार्यक्रम में संस्कृत वेद विद्यालय के आचार्य नरेश कौशिक, सुनील शर्मा, धर्मपाल सैनी, हरि व्यास, अनेक धार्मिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधयों सहित अनेक प्रदेशों से गीता प्रेमी उपस्थित रहे।

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