स्वदेशी, स्वाभाषा, स्वराष्ट्र, स्वराज्य एवं सुशासन के लिए महात्मा गांधी का सम्पूर्ण जीवन समर्पित था – डा. श्रीप्रकाश मिश्र

राज्य

मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में अहिंसा संवाद कार्यक्रम संपन्न

कुरूक्षेत्र,
04अक्तूबर 2023

गांधी जी धर्म व नैतिकता में अटूट विश्वास रखते थे। उनके लिये धर्म, प्रथाओं व आंडबरों की सीमा में बंधा हुआ नहीं वरन आचरण की एक विधि थी। गांधी जी के अनुसार, धर्मविहीन राजनीति मृत्युजाल है, धर्म व राजनीति का यह अस्तित्व ही समाज की बेहतरी के लिये नींव तैयार करता है। गांधी जी साधन व साध्य दोनों की शुद्धता पर बल देते थे। उनके अनुसार साधन व साध्य के मध्य बीज व पेड़ के जैसा संबंध है एवं दूषित बीज होने की दशा में स्वस्थ पेड़ की उम्मीद करना अकल्पनीय है। यह विचार मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा महात्मा गांधी की जयंती पर आयोजित अहिंसा संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ डा. श्रीप्रकाश मिश्र, समाजसेविका पुष्पा रानी , समाजसेवी आर.एस. चौहान, शिवमोहन एवं कुमारी हरिष ने महात्मा गांधाी जी के चित्र के समक्ष माल्यार्पण, एवम दीप प्रज्जवलन से हुआ।

अहिंसा संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आजादी की लड़ाई के साथ-साथ छुआछूत उन्मूलन, सामाजिक एकता, चरखा और खादी को बढ़ावा, ग्राम स्वराज का प्रसार, प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा और परंपरागत चिकित्सीय ज्ञान के उपयोग सहित अनेक क्षेत्रों में कार्य करके समाज का मार्गदर्शन किया। महात्मा गांधी के सत्य के प्रयोगों ने उनके इस विश्वास को पक्का कर दिया था कि सत्य की सदा विजय होती है और सही रास्ता सत्य का रास्ता ही है। आज मानवता की मुक्ति सत्य का रास्ता अपनाने से ही है। गांधी जी सत्य को ईश्वर का पर्याय मानते थे। स्वदेशी, स्वाभाषा, स्वराष्ट्र, स्वराज्य एवं सुशासन के लिए महात्मा गांधी का सम्पूर्ण जीवन समर्पित था ।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा गांधीजी ने नारी को अहिंसा का साकार रूप बतलाया, क्योंकि उसमें प्रेम और बलिदान करने की शत्तिफ़ होती है। गांधीजी का कहना था कि नारी जो प्रेम अपने शिशु को देती है वह यदि सारी मानव-जाति को दे दे, तो वह इस युद्धग्रस्त संसार को शान्ति का पाठ पढ़ा सकती है और एक माता, एक संगिनी तथा मौन नेता के रूप में पुरुष के निकट सम्माननीय स्थान प्राप्त कर सकती है। गांधीजी के विचार शाश्वत है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उन्होंने जमीनी तौर पर अपने विचारों का परीक्षण किया और जीवन में सफलता अर्जित की जो न सिर्फ स्वयं के लिये अपितु पूरे विश्व के लिये थी। आज दुनिया गांधी के मार्ग को सबसे स्थायी रूप में देखती है।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि समाजसेविका पुष्पा रानी ने कहा कि आज आवश्यकता है की हम सब महात्मा गांधी के सपनों के भारत को निर्मित करने पर विचार रखे तथा अहिंसा एवं सच्चाई के मार्ग को अपनाकर तथा क्रोध, अहंकार को त्यागकर राष्ट्र का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि भारत देश की नींव देश के महापुरुषों के त्याग एवं बलिदान से ही मजबूत बनी है। इसीलिए हमारा भी दायित्व है कि हम महापुरुषों के दिखाए मार्ग पर चलकर सशत्तफ़ भारत के निमार्ण में अपना योगदान दें। समाजसेवी आर. एस. चौहान ने कहा महात्मा गांधी ईमानदारी एवं सादगी के ऐसे प्रतीक थे, जिनके बताए मार्ग पर चलकर एक स्वर्णिम राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। देश को सत्य एवं अहिंसा का मार्ग दिखनेने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जैसे महान सपूत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। देश के महापुरुषों के त्याग एवं बलिदान से भारत देश विश्वभर में मजबूती के साथ खड़ा है।मातृभूमि शिक्ष मंदिर के बच्चों ने गांधी जी के जीवन पर महत्वपूर्ण संस्मरण प्रस्तुत किये एवं गांधी जी के सत्य एवं अहिंसा के सिद्धांत पर चलने का संकल्प लिया।कार्यक्रम में आभार ज्ञापन शमशेर सिंह ने किया और कार्यक्रम का संचालन बाबूराम ने किया।

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