कुष्ठ रोगी को समाज में सम्मान देना प्रति व्यक्ति का नैतिक दायित्व है : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

राज्य

लोहड़ी, मकर संक्रांति एवं मातृभूमि सेवा मिशन के 21वे स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर श्रीराम कुष्ठ आश्रम में कंबल एवं गर्म वस्त्र वितरण कार्यक्रम सम्पन्न

कुरुक्षेत्र।

कुष्ठ रोगी समाज का एक अभिन्न अंग है। कुष्ठ रोग के कलंक का रोगी और परिवार दोनों पर बहुत बड़ा और व्यापक परिणाम होता है। सबसे पहले, यह कुष्ठ रोग के शुरुआती निदान को रोकता है क्योंकि जो लोग डरते हैं कि उन्हें यह हो सकता है तो वे निदान की पुष्टि करने के सभी अवसरों से बचते हैं, जिससे विकृत त्वचा और रोग के तांत्रिका विकास के लिए जगह मिल जाती है। यह विचार लोहड़ी, मकर संक्रांति एवं मातृभूमि सेवा मिशन के 21वे स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर श्रीराम कुष्ठ आश्रम में कंबल एवं गर्म वस्त्र वितरण कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीराम कुष्ठ आश्रम परिसर में स्थित श्री हनुमान जी के मंदिर में पूजा एवं अर्चना से हुआ। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा श्रीराम कुष्ठ आश्रम में रह रहे सभी परिवारों एवं बच्चों को कंबल एवं गर्म वस्त्र वितरित किए गए। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि कुष्ठ रोगी को समाज में सम्मान देना प्रति व्यक्ति का नैतिक दायित्व है। कुष्ठ रोग कलंक नहीं है बल्कि यह एक व्यक्ति के शरीर में होने वाली शारीरिक क्षमता की प्रक्रिया है।

कुष्ठ रोग के प्रति समाज में जानकारी के अभाव में कुष्ठ रोगी आज समाज की दया, करूणा एवं हीन भावना का पात्र बना चुका है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि समाज के सभी असहाय एवं जरूरतमंद मेरे लिए नारायण स्वरूप है और मैं उस प्रभु का सेवक है जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं। आज आवश्यकता है कि हम सब समाज में कुष्ठ रोगियों से हीन भावना से नहीं उनके समानपूर्वक व्यवहार करें। लोहडी का पर्व हमें इसी सामाजिक भाईचारे की प्रेरणा देता हैै। कार्यक्रम की अधयक्षता करते हुए श्रीराम कुष्ठ आश्रम के प्रधान साहब राम ने मातृभूमि सेवा मिशन विगत अनेक वर्ष से देशभर के कुष्ठ रोगियों के बच्चों को निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान कर रहा है एवं ऐसे बच्चों को राष्ट्र की मुख्य धाारा जोडने में प्रयासरत है। मातृभूमि सेवा मिशन समाज के कुष्ठ रोगियों के बच्चों को एक आत्मनिर्भर नागरिक बनाने में समर्पित है। कार्यक्रम के अतिविशिष्ठ समाजसेविका श्रीमती अनु ने कहा कि मातृभूमि सेवा मिशन आध्यात्मिक प्रेरित संस्थान है जो समाज के लोग मंगल के लिए सदैव प्रयासरत है। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा समय-समय पर भारतीय सनातन संस्कृति के जागरण के निमित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। मातृभूमि सेवा मिशन वास्तव में स्वामी विवेकानंद के पदचिन्हों का अनुसरण कर रहा है। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र से हुआ। कार्यक्रम में आभार ज्ञापन मिशन के सदस्य धर्मपाल सैनी ने किया। कार्यक्रम में कुष्ठ आश्रम के सभी परिवार एवं मातृभूमि सेवा मिशन के सदस्य एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।

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