समस्त वेदों का सम्पूर्ण सारांश श्रीमद्भगवद्गीता में विद्यमान है- डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र
अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा राजकीय कन्या महाविद्यालय, कुरुक्षेत्र के
विद्यार्थियों के मध्य श्रीमद्भगवद्गीता युवा संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उतकृष्ट प्रदर्शन किया
अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा राजकीय कन्या महाविद्यालय, कुरुक्षेत्र की छात्रओं को नशा निषेध एवं नशा उन्मुलन के लिए शपथ दिलाई गई
कुरुक्षेत्र\
श्रीमद्भगवद्गीता के माध्यम से भारत ने देश और काल की सीमाओं से बाहर पूरी मानवता की सेवा की है। श्रीमद्भगवद्गीता तो एक ऐसा ग्रंथ है जो पूरे विश्व के लिए है, जीव मात्र के लिए है। दुनिया की कितनी ही भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया, कितने ही देशों में इस पर शोध किया जा रहा है, विश्व के कितने ही विद्वानों ने इसका सानिध्य लिया है। श्रीमद्भगवद्गीता ही है जिसने दुनिया को निःस्वार्थ सेवा जैसे भारत के आदर्शों से परिचित कराया। यह उदगार अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह-2022 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के सप्तदशम् दिवस राजकीय कन्या महाविद्यालय, कुरुक्षेत्र की छात्रओं के मध्य श्रीमद्भगवद्गीताः वर्तमान युवा पीढी के लिए एक प्रेरणा विषय पर आयोजित गीता युवा संवाद कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए। श्रीमद्भगवद्गीता युवा संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष राजकीय कन्या महाविद्यालय, कुरुक्षेत्र के वरिष्ठ प्रो. कृष्ण कुमार ने संयुक्त रूप से माँ सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीपप्रज्जवलन से किया। राजकीय कन्या महाविद्यालय, कुरुक्षेत्र की छात्रओं ने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का सस्वर उच्चारण किया। श्रीमद्भगवद्गीता संवाद कार्यक्रम में मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर आवासीय विद्यालय के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. श्रीप्रकाश ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता केवल ग्रंथ नहीं है जिसे केवल साधू, संन्यासी या कोई दर्शनशास्त्र का अध्येता ही पढ़े। यह ऐसा अद्भुत ग्रंथ है जो ज्ञान, कर्म और संन्यास को एक साथ समन्वित करते हुए जीवन को संपूर्णता की ओर ले जाता है। समस्त वेदों का सम्पूर्ण सारांश श्रीमद्भगवद्गीता में विद्यमान है। भारत के क्रांतिकारियों को श्रीमद्भगवत गीता से वैचारिक ऊर्जा प्राप्त हुई और मानसिक संबल, उत्साह, जोश, होश और हौसला मिला। स्वराज के संस्थापक क्रांतिकारी विचारों से स्वदेश की सेवा में लगे हुए वीरों को प्रेरित करने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती ने श्रीमद्भगवद्गीता पर टीका लिखी है। स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती जी ने स्वराज, स्वधर्म और स्वाभिमान के लिए बलिदान दिया। स्वामी विवेकानंद ने छोटे से जीवन में भारत भूमि का परचम विश्व पटल पर लहराया। उन्होंने भी श्रीमद्भगवद्गीता के कर्म योग, राजयोग, ज्ञान योग पर लेखन किया है। महर्षि अरविंद ने ऐस्सेज ऑन गीता का लेखन किया। स्वामी सहजानंद सरस्वती द्वारा गीता हृदय की रचना की गई। बाल गंगाधर तिलक ने वर्ष 1915 में मांडले जेल बर्मा में कर्मयोग की व्याख्या करते हुए गीता रहस्य नामक कृति की रचना की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजकीय कन्या महाविद्यालय, कुरुक्षेत्र के वरिष्ठ प्रो. कृष्ण कुमार कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता आत्मा एवं परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है, श्रीकृष्ण भगवान के उपदेश रूपी विचारों से मनुष्य को उचित बोध कि प्राप्ति होती है यह आत्म तत्व का निर्धारण करता है उसकी प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, एवं इस दिव्य ज्ञान की प्राप्ति से अनेक विकारों से मुक्त हुआ जा सकता है।
श्रीमद्भगवद्गीता युवा संवाद कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. सुनील ने किया। कार्यक्रम में आभार ज्ञापन डॉ. मोनिका ने किया। श्रीमद्भगवद्गीता युवा संवाद कार्यक्रम में राजकीय कन्या महाविद्यालय, कुरुक्षेत्र के शिक्षक एवं छात्रओं सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने राजकीय कन्या महाविद्यालय की छात्र श्रुति को संभाषण प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। गीता संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने राजकीय कन्या महाविद्यालय, पलवल के विद्यार्थियों को नशा उन्मूलन के लिए शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान से हुआ।