देहरादून। भाजपा सरकार ने विधानसभा सदन से पारित महिला आरक्षण और सख्त धर्मांतरण अधिनियम को मातृ शक्ति सशक्तिकरण व डेमोग्राफिक संतुलन के लिए मील का पत्थर साबित होने वाला बताया है। आज पार्टी प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य चहंुमुखी विकास की रफ्तार से उत्तराखंड /25 लक्ष्य की और तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विधानसभा से पारित दो ऐतिहासिक विधेयकों की जानकारी व प्रदेश द्धारा आर्थिक, प्रशासनिक, कानून व्यवस्थता एवं सामाजिक समरसता के क्षेत्रों में प्राप्त नए आयामों को लेकर आपके माध्यम से संवाद बनाने की हमारी यह कोशिश है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण कोरोना संक्रमण काल के बाद एक बार फिर से राज्य की जीडीपी नयी ऊंचाइयों को छू रही है, कम बेरोजगारी दर में हम देश में दूसरे स्थान पर है, प्रति व्यक्ति आय दो लाख 65 हजार पर पहुँच गयी है। उन्होंने कहा कि सड़क रेल हवाई मार्गों के साथ साथ अब श्री केदारनाथ, श्री हेमकुंड साहिब आदि रोपवे निर्माण से उत्तराखंड लगातार जुडते हुए आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह अटल आयुष्मान से सबके स्वास्थ्य, अटल आवास से रहने के लिए छत और गरीब कल्याण योजना से भोजन की व्यवस्थता से सबको सहूलियत देने के काम भाजपा सरकार कर रही है।

उनहोंने कहा कि धामी सरकार प्रधानमंत्री मोदी के श्रीमुख से निकली बाबा केदार की इच्छा को आदेश मानकर 2025 तक उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा प्राणप्रण से जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में वरिष्ठ नौकरशाहों और मंत्रियों ने उत्तराखंड/25 विषय पर मंथन भी किया जिनसे निकले विचारों को भविष्य की योजनाओं को बनाने में किया जाएगा। इस अवसर पर मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टोलरेंस की नीति पर अमल करते हुए अनेकों प्रकरणों में एसआईटीई जांच करवाकर लगभग दो दर्जन आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है, जो अब तक के इतिहास सबसे कठोर कार्यवाही है। उन्होंने कहा कि वहीं अंकिता भंडारी मर्डर की दुखद घटना पर निष्पक्ष एवं कठोरतम कार्यवाही करते हुए 24 घंटे में दोषियों की गिरफ्तारी, 48 घंटे में शव बरामदगी, सभी आरोपियों पर गैंगस्टर लगाया, फास्ट ट्रेक कोर्ट में मुकदमा चलाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इसी तरह दिल्ली के छावला प्रकरण में संवेदनशीलता दिखाते हुए उत्तराखंड की बेटी के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री से बातचीत समेत सभी जरूरी कदम उठाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड देवभमि है और देश भर की तरह यहाँ भी जबरन या बरगलाकर धर्मान्तरण की घटनाएँ प्रदेश के सांस्कृतिक, सामाजिक व जनसांख्यिक स्वरूप के चुनौती बन रही थी।

उन्होंने कहा कि इस समस्या के प्रतीकार व षड्यंत्र के तहत इस अपराध में लिप्त लोगों पर लगाम कसने के उद्देश्य से एक सख्त कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही थी । सदन में भारत के संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 के तहत, धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए पहले से ही मौजूद उत्तराखंड धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 में संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में जबरन, कपटपूर्ण या प्रलोभन द्धारा धर्मांतरण के दोषी पाए जाने पर न्यूनतम तीन साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक के कारावास का प्रावधान किया गया है। इतना ही नही इसे गैरजमानती अपराध बनाते हुए दोषी पर 50 हजार का जुर्माना है। इस अधिनियम के तहत पीड़ित पक्ष को पांच लाख रुपये तक का जुर्माना दोषी को देना पड़ सकता है, जो जुर्माने से अलग होगा। उन्होंने कहा कि इस उत्तराखंड धार्मिक स्वतन्त्रता (संशोधन) अधिनियम के कानून बनने के बाद उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य होगा जिसमें सबसे कड़े धर्मान्तरण विरोधी कानून के तहत 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण में मातृशक्ति का बहुत बड़ा योगदान रहा है और भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह पहले ही तय किया था विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस प्रदेश में मातृशक्ति को क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिले। उन्होंने कहा कि 2006 से मिले महिला आरक्षण पर हाईकोर्ट के स्टे के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विशेष पहल पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी के माध्यम से पैरवी कर बीते माह चार नवंबर 2022 को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर, आरक्षण को बरकरार रखा।