विजयादशमी शक्ति पूजा का पर्व है, शक्ति उपासना का पर्व है, हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है और शांति की संवाहक है। अधर्म पर धर्म, अन्याय पर न्याय, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयदशमी पर्व भारत के जन-जन का विजयपर्व है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा विजयदशमी के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी विक्रम वर्मा, मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र, समासेविका श्रीमती मोनिषा ने संयुक्त रूप से भगवान श्रीराम के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्जवलन से किया।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा वैदिक काल से ही भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक और शौर्य की उपासक रही है। हमारी संस्कृति कि गाथा इतनी निराली है कि देश के अलावा विदेशों में भी इसकी गुंज सुनाई देती है। तभी तो पुरी दुनिया ने भारत को विश्व गुरु माना है। युवा देश का भविष्य है, अगर युवा पीढ़ी अपनी सोच में बदलाव लाएगी तो समाज में बुराई रूपी असुर पूर्ण रूप से समाप्त होगा। विजयदशमी के त्योहार के प्रति आदर, सम्मान व समर्पण हमें अपने जीवन का श्रेष्ठ बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
डॉ. मिश्र ने कहा कि दशहरा यानी न्याय, नैतिकता, सत्यता, शक्ति और विजय का पर्व है। हर युग में अन्याय, अहंकार, अत्याचार, असमानता, छुआछूत और आतंकवाद जैसे कलंक रूपी असुर रहे हैं। आज के इस कलियुग में क्षेत्रवाद, जातिवाद, आंतक, भय, अन्याय, शोषण और अलवाद जैसे असुर समाज में पनपते जा रहे हैं। आज आवश्यकता है कि विजयदशमी के पर्व से प्रेरणा लेकर हम इन समस्त बराईयों को समूल नष्ट करने में सहयोगी बनें।
समाजसेवी विक्रम वर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विजयदशमी का पर्व हमें यह संदेश देता है कि अन्याय और अधर्म का विनाश तो हर हाल में सुनिश्चित है। फिर चाहे आप दुनियाभर की शक्तियों और प्राप्तियों से संपन्न ही क्यों न हो,अगर आपका आचरण सामाजिक गरिमा या किसी भी व्यक्ति विशेष के प्रति गलत होता है तो आपका विनाश भी तय है।
कार्यक्रम में कुमारी वेदांतिका ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन पर एकल नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने विजयदशमी के पर्व पर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में आभार ज्ञापन हरि व्यास ने किया। कुमारी वेदांतिका को सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति के लिए मिशन के संस्थापक डॉ- श्रीप्रकाश मिश्र ने अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में ययाति, गुरप्रीत सिंह, बाबु राम सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।