-डॉ. बृजेश सती/देहरादून
युवाओं को नशा नहीं रोजगार मिले। इस मुहिम को जिंदा रखने के लिए पूर्व सैनिक राजेश सेमवाल ने न केवल अपने जीवन भर की कमाई झोंक दी, बल्कि 50 लाख के कर्ज तले दबे हुए हैं। लेकिन उनका हौसला डिगा नहीं। वे वंदे मातरम प्रशिक्षण सेवा संस्थान के जरिए राज्य के युवक और युवतियों को निःशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं।
घटना जिसने ये करने को प्रेरित किया-
बात वर्ष 2020 की है, जब राजेश सेना में कार्यरत थे। छुट्टियों में अपने पैतृक गांव आए हुए थे। एक दिन दोपहर में उन्होंने देखा कि एक युवा अर्धनग्न नशे की हालत में सड़क के किनारे पड़ा हुआ है। यह युवक किसी राजनीतिक दल के कार्यक्रम में भाग लेने आया हुआ था।
इस घटना से राजेश बेहद आहत हुए। वो ये जानने की कोशिश करने लगे कि आखिर युवा ऐसा क्यों कर रहे हैं। उन्हें पता चला कि पहाड़ में अधिकांश युवाओं की यही स्थिति है। बेरोजगार होने के चलते वे नशे के आदी हो चुके हैं। इस छोटी सी घटना ने उन्हें कुछ नया करने का जज्बा पैदा कर दिया। वंदे मातरम सेवा संस्थान इसकी परिणति है।
कई सेना में भर्ती, सैकडों तैयार-
राजेश 30 सितंबर 2020 को भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए और उन्होंने पुरोला में 10 अक्टूबर से अपना प्रशिक्षण केंद्र निःशुल्क प्रारंभ कर दिया था। 85 युवाओं के साथ कैंप की शुरुआत की। स्वंय के संसाधनों से युवाओं को सेना में भर्ती के लिए तैयार किया।
राजेश सेमवाल बताते हैं कि पहले बैच के उनके 55 युवा भारतीय सेना में शामिल हुए। दूसरा बैच जनवरी 2021 में प्रारंभ हुआ। इसमें पूरे उत्तराखंड की 328 लड़कियों को प्रशिक्षण दिया गया। तीसरा बैच जुलाई 2021 से प्रारंभ किया गया, जिसमें 200 युवक-युवतियों ने प्रशिक्षण लिया। इसमें से 184 युवक और युवतियां उत्तराखंड पुलिस की शारीरिक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं।
पूरी जमा पूंजी झोंकी, 50 लाख का कर्ज-
2020 में सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद राजेश को सेवानिवृत्ति के तहत जितना भी धनराशि मिली, उन्होंने पूरी कैंप में प्रशिक्षणार्थियों के लिए झोंक दी। जब यह धनराशि भी खत्म हुई तो उन्होंने अलग-अलग बैंकों से 42 लाख 54 हजार का कर्ज लिया। वे बताते हैं कि उन्होंने 5 लाख रुपये लोगों से भी ब्याज पर लिए हैं।
कुल मिलाकर अपनी जीवन की जमा पूंजी के अलावा वे अब तक 50 लाख रुपया युवक और युवतियों के प्रशिक्षण पर खर्च कर चुके हैं।
सेना और पुलिस भर्ती का दिया जाता है प्रशिक्षण-
उत्तरकाशी के पुरोला के वंसत नगर में यह प्रशिक्षण शिविर है। यहां युवक और युवतियों को भारतीय सेना के तीनों अंगों के अलावा पुलिस एवं फारेस्ट गार्ड भर्ती से संबंधित सहायक प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा भर्ती से संबंधित सभी प्रकार की तकनीकी और व्यवहारिक जानकारियां भी उपलब्ध कराई जाती है। प्रशिक्षण की पूरी अवधि के दौरान निःशुल्क रहने और खाने की व्यवस्था कराई जाती है।
पूर्व सैनिक राजेश अपनी मुहिम में कामयाब तो हो रहे हैं, लेकिन उनके सामने दिक्कतें कम नहीं हैं। लगातार बढ़ रहा कर्ज और कैंप के लिए संसाधन जुटाना, किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन इस्पाती इरादों वाला यह पूर्व सैनिक हर मुश्किल चुनौती का सामना करने को तैयार है। देश भक्ति और समाज सेवा की ऐसी मिसाल कम ही देखने और सुनने को मिलेगी।