हिंदू मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्ति हो
शाश्वत भारत ट्रस्ट की पहल पर हुई कार्यशाला
देहरादून
शाश्वत भारत ट्रस्ट के तत्वावधान में मंदिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति एवं गुरुकुल शिक्षा पद्धति को पुनर्जीवित किए जाने को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। दिल्ली के वरिष्ठ सर्जन और मंदिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति अभियान से जुड़े डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा मुख्य व्यक्ता थे। इस अवसर पर स्लाइड के जरिए धर्म स्थलों, विविध धर्मो की स्थित और विस्तार को समझने की कोशिश की गई। कार्यशाला में उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत, विश्व हिंदू परिषद, भैरव सेना, पूर्व सैनिक अधिकारियों के अलावा अन्य धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी ने शिरकत की।
मुख्य वक्ता डॉक्टर कौशलकांत मिश्रा ने कहा कि बड़ी संख्या में देश भर में मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं ,जो एक चिंतनीय विषय है। कहा कि हमारा देश विविधताओ से भरा है। यहां कई धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं । लेकिन केवल बहुसंख्यक हिंदू मंदिर ही सरकारों के नियंत्रण में क्यों हैं। डॉ मिश्रा ने कहा इसमें उत्तराखंड राज्य से जुड़े हुए धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाएं अपना महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं ।
उत्तराखंड चार धाम तीर्थ महापंचायत केकि महासचिव डॉक्टर बृजेश सती ने देवस्थान प्रबंधन विधेयक से संबंधित विभिन्न पहलुओं का व्यावहारिक एवं तकनीकी ढंग से प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि तीर्थ पुरोहितो एवं मंदिरों से जुड़े हक हकूक धारियों की एकजुट के कारण ही सरकार को यह एक्ट वापस लेना पड़ा ।
विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि आगामी प्रयागराज कुंभ में विश्व हिंदू परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में यहां पर उठाए गए सभी बिंदुओं को रखा जाएगा। भैरव सेना के केंद्रीय अध्यक्ष संदीप खत्री ने कहा कि इसमें सामाजिक जागरूकता की जरूरत है।
शाश्वत भारत ट्रस्ट के मार्गदर्शक डॉक्टर ए के सिंह ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति को एक बार फिर से पुनर्जीवित किए जाने की आवश्यकता है। जिससे हम अपने बच्चों में अच्छे संस्कार दे सके।
इस अवसर पर यमुनोत्री मंदिर समिति के पूर्व उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल, डॉ लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य डॉ सुमेर चंद रवि, बदरीनाथ धाम के पुरोहित प्रशांत डिमरी आदि ने भी विचार व्यक्त किया।
कार्यशाला का संचालन डॉक्टर माधव मैथानी और रत्नाकर कोटनाला ने संयुक रूप से किया।