हिंदी साहित्य की हर विधा राष्ट्रीय चेतना की भावना से ओतप्रोत, दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून\हिंदी भाषा एवं साहित्य सम्मेलन समिति उत्तराखंड की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का सोमवार को समापन हुआlसमापन समारोह में वक्ताओं ने कहा कि हिंदी साहित्य की हर विधा राष्ट्रीय चेतना की भावना से ओतप्रोत है|
उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान की ओर से संपोषित अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के आखिरी दिन कई राज्यों से आए प्रतिभागियों को शिक्षण संस्थाओं का भ्रमण कराया गयाl शैक्षिक भ्रमण के माध्यम से प्रतिभागियों ने देहरादून और इसके आसपास चल रही शैक्षिक गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल की|

इससे पूर्व संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में करीब 50 प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किएl संगोष्ठी में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए हिंदी भाषा एवं साहित्य सम्मेलन समिति उत्तराखंड की अध्यक्ष डॉ राखी उपाध्याय ने कहा कि हिंदी साहित्य की हर विधा में राष्ट्रीय चेतना के दर्शन होते हैं | हिंदी कविता, गद्य और यहां तक की हिंदी सिनेमा के गीतों में भी राष्ट्रीय चेतना की भावना दिखाई देती है|

समिति की कोषाध्यक्ष डॉ. निशा वालिया ने कहा कि जब-जब राष्ट्र को आवश्यकता पड़ी है हिंदी भाषा के कवियों और साहित्यकारों ने आगे आकर प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का संचार किया है| हिमाचल प्रदेश से आई डॉ. आशा ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है| समाज सेवा के माध्यम से साहित्य राष्ट्रीय चेतना के लिए सतत काम करता हैlकार्यक्रम का संचालन चमन लाल महाविद्यालय लंढौरा हरिद्वार के प्राचार्य डॉ सुशील उपाध्याय ने कियाl इस अवसर पर डॉ प्रणव शास्त्री, डॉ. सुप्रिया रतूड़ी, डॉ. योगेश योगी, डॉ राम भरोसे, डॉ नीरजा चौधरी, डॉ सुमंगल सिंह आदि उपस्थित थे|

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