अभिभावक की भूमिका छात्र निर्माण में बहुत अधिक है: साध्वी प्राची

हरिद्वार उत्तराखंड यूथ

Haridwar।  सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज मायापुर हरिद्वार में अभिभावक सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षा साध्वी प्राची जी, श्री रोहितांश जी,विद्या भारती उत्तराखंड के प्रदेश निरीक्षक डॉ विजयपाल सिंह जी और विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य श्री अजय सिंह जी ने सामूहिक रूप से मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन द्वारा किया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय की आचार्या श्रीमती गीता जी ने किया। कार्यक्रम में विद्यालय के उपप्रधानाचार्य श्री अजय सिंह जी ने कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने को कहा जैसे सभी अभिभावक बच्चों को समय से विद्यालय भेजें, बच्चों को अल्पाहार अवश्य दें और प्रतिदिन बच्चों की स्कूल डायरी अवश्य चेक करें ।

कार्यक्रम की अध्यक्षा सुश्री साध्वी प्राची जी जी ने कहा कि बालक के विकास में माता का बड़ा योगदान है माता बच्चों की निर्माता है मां जैसा खाती है जैसा बोलती है जैसा देखती है जैसा सोचती है उसका बच्चे पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। अभिभावक की भूमिका छात्र निर्माण में बहुत अधिक है। अपनी आप अपने बच्चों की निगरानी करें उसे गलत मार्ग से बचाए और विद्यालय की सहायता करते हुए छात्र-छात्रा की भविष्य का निर्माण करें । परीक्षाफल केवल बच्चों का परीक्षा फल नहीं होता है यह शिक्षक और अभिभावकों का भी परीक्षाफल है अगर शिक्षक और अभिभावक दोनों मिलकर प्रयास करें तो बच्चों की प्रगति अवश्य होगी। कार्यक्रम में रोहतास कुमार जी ने कहा कि हरिद्वार में अनेकों विद्यालय हैं लेकिन यह विद्यालय सबसे अलग है क्योंकि यहां शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाते हैं । बालक के विकास में अभिभावक की भूमिका विषय पर बोलते हुए बताया की पन्ना धाय, माता जीजावाई, माता कौशल्या और भारत की अनेको माताओ ने अपने पुत्रों के व्यक्तित्व का निर्माण किया। अतः जैसी होती बालक की माता वैसा ही बालक बनता यह हमारा इतिहास बताता इस आधार पर माताएं अपने पुत्रों और पुत्री का देश काल के अनुसार निर्माण करें। माता-पिता ही यह निश्चित कर सकते हैं कि उन्हें अपने पुत्र पुत्री को कैसा बनाना है। छात्र को देशभक्त समाज सेवा समय पालन और कर्तव्य निष्ठा की शिक्षा माता ही देती है ।कार्यक्रम के समापन में विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने कहा कि हमारा उद्देश्य शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास को उजागर करना है और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका संस्कारों की है यदि बच्चे संस्कार वहां बन जाते हैं तो वह एक अच्छे नागरिक बनकर देश की प्रगति में सहयोग कर सकते हैं इसके लिए माता-पिता अपने बच्चों का ध्यान रखें उनकी पढ़ाई हेतु समय सारणी बनवाएं और प्रतिदिन विद्यालय अवश्य भेजें प्रत्येक परीक्षा के उपरांत छात्र-छात्रा से पूछताछ अवश्य अवश्य करें उसको प्रोत्साहित करें और परीक्षा के लिए उसका लक्ष्य अवश्य निर्धारित करें। प्रधानाचार्य जी ने विद्यालय में उपस्थित होने पर अभ्यागतों एवं अभिभावकों का धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया।

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