गिरजेश मिश्र
सोनूघाट, देवरिया, जनपद मुख्यालय से देवरिया सलेमपुर मुख्य मार्ग पर 10.5 किमी की दुरी पर स्थित ग्राम पंचायत परसिया मिश्र के राजस्व ग्राम मठटोडर गिरी में भूतल से 60 फिट की ऊचाई पर वट, पीपल सहित जंगली बृक्षों की
छाया में अवस्थीत स्वयंभू शिव लिंग के साथ शिव लिंग के ठीक पीछे दाहिनी तरफ विशालकाय पोखरे के सामने स्वयं उद्भुत मां अन्नपूर्णा के पदचिन्ह के दर्शन मात्र से भक्तों के मनोरथ पूर्ण होने के साथ आरोग्यता की प्राप्ति होती है I
ग्राम सोनहुला निवासी 85 वर्षीय वृद्ध पं. सीताराम मिश्र 37 वर्ष पूर्व की स्मृति को बताते हैं कि देवरिया के एक सेठ असाध्य रोग से पीड़ित थे चिकित्स्कों ने उन्हें जबाब दें दिया था I सेठ को जीवन का जंग हारते देख उनके परिजन इनके राय पर इसी मंदिर पर अभिषेक कराये जिसके बाद वह 25वर्ष तक जीवित रहें I
मंदिर कि भौगोलिक स्थिति कि चर्चा करें तो पूर्व मे भगवान श्री हरि की मानस पुत्री भगवती सरयू की धरा भगवान चतुर्भुजी के प्राकट्य स्थल बारीपुर कुटी से पुरब और शिव मंदिर के पश्चिम की तरफ से ही प्रवाहित होती रहीं हैं का प्रमाण सोनूघाट, गांव का नाम हैं I
बरसात के दिनों में मंदिर के टीले से देखने पर लगाता हैं कि मानों यही से सरयू प्रवाहित हों रहीं हैं I
शिव मंदिर के इतिहास के बारे में पुजारी स्व. रामजी गिरी, करौदी निवासी स्व.बासुदेव गिरी, सोनहुला निवासी स्व. रामनाथ मिश्र, अपने पूर्वजों से सुनी बातों के आधार पर अक्सर बतया करते थे I कि ग्राम बैरौना के शाही परिवार से महादेव शाही नामक व्यक्ति को कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने विद्वानों के राय पर मंदिर के पीछे, दीर्घा नामक पोखरी के उत्तरी तट पर शिव लिंग की स्थापना कराकर मंदिर का निर्माण करा रहें थे I तो उन्हें स्वप्नन आया कि तुम्हे पुत्र की प्राप्ति होंगी, मै ऊंचे टीले पर स्वयंभू रूप में विराजमान हूँ I
तब उन्होंने वहाँ मंदिर का निर्माण कराया और पूजा के लिए 52बीघे जमीन गिरी लोगों को दान में दिया I
पोखरी के उत्तरी तट पर स्थित सफ़ेद रंग का शिव लिंग आज भी आसमान तले विराजमान हैं जिसे क्षेत्रीय जन कुटुकनाथ के नाम से जानते हैं i
शिव मंदिर के आगे की तरफ भी एक पोखरा स्थित हैं जिसे स्थानीय लोग शिव अवरोही के नाम से जानते हैं, मान्यता हैं कि पूर्व में भक्त जन इसी पोखरे के जल से बाबा का अभिषेक करते थे I