मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में 14 दिसम्बर 2021 से 03 दिसम्बर 2022 तक आयोजित दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ के 196वें दिवस पर 16वे आध्याय की आहुति दी गई

कुरुक्षेत्र\आज का युग परमाणु युद्ध की विभीषिका से भयभीत है। ऐसे में श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश ही हमारा मार्गदर्शन कर सकता है। आज का मनुष्य प्रगतिशील होने पर भी किंकर्त्तव्य विमूढ़ है। अत: वह गीता से मार्गदर्शन प्राप्त कर अपने जीवन को सुखमय और आनन्दमय बना सकता है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में 14 दिसम्बर 2021 से 03 दिसम्बर 2022 तक आयोजित दैनिक श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान यज्ञ के 196वें दिवस पर आयोजित गीता संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए।

श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय एवं मातृभूमि शिक्षा मंदिर के ब्रह्मचारियों द्वारा गीता के 16वें अध्याय के श्लोकों की आहुति डालते हुए विश्व मंगल की कामना की गई। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में आजादी के अमृतोत्सव के उपलक्ष्य में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणो की आहुति देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित गई।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता मानवता का अब तक का सबसे महत्वपूर्ण संविधान है। गीता जिस धर्म का सार है, उस धर्म को वैदिक धर्म कहते है। जिसमें प्राणीमात्र के लिए आनंदमय व शांतिपूर्ण जीवन का दर्शन है। श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय धर्म और दर्शनशास्त्र के साथ उस अध्यात्म विद्या का भी स्थापित ग्रंथ है, जिसने मनुष्य जाति को आत्मा की अमरता का संदेश दे कर कर्मशील जीवन की आधारशिला रखी। भारत और विदेशों में भी श्रीमद्भगवद्गीता का बहुत प्रचार है । संसार की शायद ही ऐसी कोई सभ्य भाषा हो जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता का अनुवाद न हो। श्रीमद्भगवद्गीता को मानवीय प्रबंधन के अद्भुत ग्रन्थ की वैश्विक मान्यता हासिल है।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता महज उपदेश भरा ग्रंथ ही नहीं बल्कि मानव इतिहास की सबसे महान सामाजिक, धार्मिक, दार्शनिक और राजनीतिक वार्ता भी है। संसार की समस्त शुभता गीता में ही निहित है। श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश जगत कल्याण का सात्विक मार्ग और परा ज्ञान का कुंड है।गीता ज्ञान का सागर ही नहीं बल्कि मानव जीवन रुपी महाभारत में विजय का मार्ग भी है। श्रीमद्भगवद्गीता का पवित्र ज्ञान कहता हैं कि यह संसार परिवर्तनशील हैं । यहाँ सब बदलता हैं। जीवन भी चलायमान हैं। विचारो का प्रवाह आता है और चला जाता हैं उसका भी जीवन के वास्तविक अर्थ में कोई स्थायी महत्त्व नही हैं। अतः हमें अपने वर्तमान को आत्मसात करना चाहिए।

डॉ. मिश्र ने कहा कि वर्तमान समाज में श्रीमद्भगवद्गीता अत्यंत प्रासंगिक है। श्रीमद्भगवद्गीता दर्शन धर्म के परिप्रेक्ष्य से ऊपर उठ कर अपने दार्शनिक दृष्टिकोण के स्वरूप को उजागर करते हुये भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में भी लोकप्रिय है। वर्तमान समाज की विकट समस्याओं का सामना करने के लिए मानव जाति को श्रीमद्भगवद्गीता के संदेश को आत्मसात करना आवश्यक प्रतीत होता है। श्रीमद्भगवद्गीता न केवल जीवन के संकट के पलों में हमारा साहस बढ़ाती है बल्कि संकट से उबरने में उचित मार्ग दर्शन भी प्रदान करती है।

श्रीमद्भगवद्गीता को मानवीय प्रबंधन के अद्भुत ग्रन्थ की वैश्विक मान्यता हासिल है।दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ के संयोजक आचार्य नरेश ने कहा हम सब बहुत सौभाग्यशाली है की हमें नित्यप्रति संसार के सर्वश्रेष्ठ दार्शनिक स्थल पर विश्वमंगल की कामना का अवसर प्राप्त होता है। मातृभूमि सेवा मिशन वास्तविक रूप से श्रीमद्भगवदगीता के सिद्धांतो को आत्मसात कर लोकसेवा के कार्य में समर्पित है। कार्यक्रम में अनेक गणमान्य एवं गीताप्रेमी उपस्थित रहे।