“भेसुला” एक परंपरागत भारतीय कला है जिसमें पुराने कपड़ों और चिथड़ों का उपयोग करके मनुष्य के आकार को बनाया जाता है। यह कला न केवल रचनात्मक होती है, बल्कि इसमें हस्तशिल्प का सौंदर्य भी छुपा होता है। भेसुला का शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “भूत-प्रेत का आकार”। इसका मूल्य आज भी भारतीय सांस्कृतिक विरासत में बना हुआ है।
पद्धति:
भेसुला बनाने की पद्धति एक सूचना और साहित्य का संग्रह होती है, जिसमें पुराने कपड़ों और चिथड़ों का बराबरी आकार बनाने के लिए कई कलाएं शामिल होती हैं।
- सामग्री का चयन: पहले, उपयोग के लिए पुराने कपड़े, साड़ी, लेहंगा, चोली, जूते, बुना हुआ सूती धागा और चिथड़े का चयन किया जाता है।
- कला की रचना: कलाकार शुरुआत में एक मानचित्र बनाता है जिसमें आकार की निरूपक्षता का ध्यान रखा जाता है। फिर, उसे इस मानचित्र के अनुसार कपड़ों को काटने और बुनने का कार्य करता है।
- कपड़ों का कटाव: कपड़े को आकार के अनुसार काटा जाता है, और उन्हें एक साथ जोड़कर आवश्यकता के अनुसार तारों से बाँधा जाता है।
- रंग-बिरंगी चिथड़े: कपड़े का यह आकार फिर रंगीन चिथड़ों से ढंका जाता है। चिथड़े में साहित्य, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक घटनाओं की चित्रात्मक रूपरेखा बनती है जो भारतीय सांस्कृतिक सृष्टि की प्रतिष्ठा को दर्शाती है।
- सजीव आकृतियाँ: आकृतियाँ अब तैयार हैं, और इस भव्य आकृति के माध्यम से भेसुला मूर्ति का आवास मिलता है।
महत्व:
- सांस्कृतिक धरोहर: भेसुला न केवल रचनात्मक बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है। इसमें स्थानीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्वपूर्ण तथ्यों का समाहार होता है जो नए पीढ़ियों को सिखने का अवसर प्रदान करता है।
- आर्थिक सहायता: भेसुला न केवल एक कला है, बल्कि इससे आर्थिक रूप से भी सहायता मिलती है। स्थानीय कलाकार अपनी रचनाएं बाजार में बेचकर अच्छा आय प्राप्त कर सकते हैं।
- पर्यावरण का समर्थन: भेसुला का निर्माण पुनःप्रदूषण मामूला होता है क्योंकि इसमें पुनः प्रयोग के लिए पुराने कपड़े होते हैं। इससे प्लास्टिक और अन्य कचरे की बढ़ती समस्याएं कम होती हैं।
भेसुला एक अनूठी कला है जो सांस्कृतिक समृद्धि का साक्षात्कार कराती है। यह एक सहारा भी प्रदान करती है जो स्थानीय कलाकारों को आत्मनिर्भर बनाता है और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर देता है। भेसुला न केवल एक कला है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है, जिसे बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी को साझा करनी चाहिए।