आत्मशक्ति के विकास, सम्मान एवं वैभव का सोपान चरित्र बल है: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

राष्ट्रीय

मातृभूमि सेवा मिशन एवं काइंड बिंगस द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर में दो दिवसीय ग्रीष्मकालीन छात्र जिज्ञासा संवाद शिविर का समापन
कुरुक्षेत्र/चरित्र बल मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है। चरित्र निर्माण की प्रक्रिया जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। चरित्र बल ही मानवीय गुणों की मर्यादा है यह स्वभाव और विचारों की दृढ़ता का सूचक है। आत्मशक्ति के विकास, सम्मान एवं वैभव का सोपान चरित्र बल है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने मातृभूमि सेवा मिशन एवं काइंड बिंगस, कुरुक्षेत्र द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर में आयोजित दो दिवसीय ग्रीष्मकालीन छात्र जिज्ञासा संवाद शिविर के समापन अवसर पर आयोजित विद्यार्थी जीवन में चरित्र बल का महत्व विषय पर व्यक्त किए।

कार्यक्रम का शुभारंभ मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा सामुहिक रूप से सरस्वती वंदना एवं योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण एवं भारतमाता के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीपप्रज्जवलन से हुआ। कार्यक्रम में बच्चों ने अपने अनुभव व्यक्त किए। विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न विषयों पर संभाषण भी प्रस्तुत किया गया। जिज्ञासा संवाद शिविर के सहयोगी काइंड बिंगस के स्वयंसेवकों ने अपने विचार व्यक्त किए एवं कुछ स्वयंसेवकों ने गीत एवं कविता के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी।

मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि विचारों की नींव पर चरित्र रूपी भवन खड़ा होता है। श्रेष्ठ चिंतन एवं सद्गुणों की संपत्ति से चरित्र बल का निर्माण होता है यही मनुष्य की प्रेरणा का सबल बनता है। परंतु हमारी वर्तमान व्यवस्था आज भी रोटी, कपड़ा और मकान के विकास तक ही सीमित है, केवल भौतिक समृद्धि समाज को शांति के पथ पर नहीं ले जा सकती। समाज में जब तक सात्विक प्रवृत्तियों के माध्यम से चरित्र बल उत्पन्न नहीं होता तब तक सारी भौतिक सुविधाएं व्यर्थ हैं। ऐसी अवस्था समाज को अधोगति की ओर ले जाती है।

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि स्वयं विवेकानंद जी ने इसी बल से शिकागो की यात्र में आने वाली समस्त बाधाओं पर विजय प्राप्त करने संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति का उद्घोष किया। चरित्र बल मनुष्य को तेजस्वी बनाता है। चरित्र रूपी धन के समक्ष संसार की विभूतियां, सुख, सविधाएं घुटने टेक देती हैं । इतिहास साक्षी है कि महाराणा प्रताप के चरित्र बल के आगे भामाशाह ने भी अपनी संपूर्ण संपत्ति न्यौछावर कर दी थी।

शिविर में विद्यार्थियों को सामाजिक संस्था काइंड बिंगस के संयोजक राघव गर्ग, रिया, हिमांशु, बाबू राम, सुरभि, जानह्वी, किरण एवं रितिका, आर्यन एवं गर्व, दीक्षा, परधुमन, वसुधा, नमन एवं मानव ने बतौर विविध विषयों पर प्रशिक्षण दिया। ग्रीष्मकालीन छात्र जिज्ञासा संवाद शिविर में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

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