वीर सावरकर की जयंती के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा राष्ट्र संवाद कार्यक्रम आयोजित।
कुरुक्षेत्र\
वीरता, विद्वत्ता और विचारशील राष्ट्रवाद के प्रतीक, महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर प्रखर राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने हिंदी और हिंदुत्व को राष्ट्रीयता का आधार बनाया। चाहे हिंदुओं पर आसन्न दोहरा खतरा हो या वनवासी समुदाय को लेकर आज की विकराल समस्या, उन्होंने दशकों पहले की सचेत कर दिया था।आधुनिक भारत के निर्माताओं में विनायक दामोदर सावरकर का नाम अग्रणी है। वीर सावरकर को भारतीयता के मूलस्वर हिंदुत्व के विचार को देश में स्थापित करने का श्रेय जाता है। विनायक दामोदर सावरकर आधुनिक भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महामानव और हिंदुत्व के पुरोधा थे। यह विचार वीर सावरकर की जयंती के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित राष्ट्र संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर के चित्र के समक्ष मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने दीप प्रज्जवलन एवं पुष्पार्चन से किया। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने वीर सावरकर को नमन करते हुए उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित किये।
राष्ट्र संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा सावरकर ने हिंदू और हिंदुत्व शब्द को उपासनापरक अर्थ से बाहर निकालकर उसे राष्ट्रीयतापरक अर्थ दिया। हिंदुत्व को राष्ट्रीयता का आधार बनाया, इसीलिए उन्हें हिंदू राष्ट्र का मंत्रद्रष्टा कहा जाता है।वीर सावरकर जिस चट्टानी धातु से बने थे, वह यातनाओं से विचलित होने वाली नहीं थी। जिस काल कोठरी में एक दिन तक रहना मुश्किल हो जाता है, उसमें उन्होंने जवानी के दस वर्ष बिताए। किन्तु हिंदुओं को संगठित करने की आग उन्हें चैन से बैठने नहीं दे रही थी। नियति ने उन्हें जेल के सीखचों में जीवन पूर्ण करने के लिए नहीं, अपितु हिंदुत्व का ध्वजारोहण करने के लिए भेजा था। इसके लिए आवश्यक था कि वे येन – केन-पथेन दुष्ट अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त होकर हिंदुत्व के सिद्धांत को साकार करने में अपनी शक्ति अर्पित की। वीर सावरकर ने अपना सम्पूर्ण जीवन हिंदुत्व और भारत राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया।
वीर सावरकर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा सावरकर जी किसी भी तरह के भेदभाव और जातिवाद से मुक्त पूरी तरह से स्वतंत्र भारत का सपना देखा था, एक ऐसे राष्ट्र की संकल्पना किया था, जो विकास के पर का अनुगामी हो। वर्तमान समय में भारत को अपनी एकता ,अखंडता और एकीकरण बनाए रखने के लिए विभिन्न मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं।विघटनकारी शक्तियां टुकड़े-टुकड़े गु टएवं असामाजिक तत्व भारत को विघटित करने के सपने देखते हैं। हमें वीर सावरकर जैसे स्वातंत्र वीर की ओर देखना चाहिए, जिन्होंने असंख्य कठिनाइयों का सामना किया और भारत माता की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी हैं। राष्ट्र संवाद कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने वीर सावरकर के जीवन से जुड़ें अनेक प्रेरक प्रसंग एवं देशभक्ति के गीत भी प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में आश्रम के सदस्य, विद्यार्थी आदि उपस्थित रहे।