विनम्रता की साक्षात प्रतिमूर्ति संत रविदास जी की आध्यात्मिक चेतना सबका मंगल, सदा मंगल और मंगल ही मंगल का उद्घोष करती है – डा. श्रीप्रकाश मिश्र

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विनम्रता की साक्षात प्रतिमूर्ति संत रविदास जी की आध्यात्मिक चेतना सबका मंगल, सदा मंगल और मंगल ही मंगल का उद्घोष करती है – डा. श्रीप्रकाश मिश्र

संत शिरोमणि रविदास की जयंती के उपलक्ष्य मे मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा कार्यक्रम संपन्न।

24 फरवरी 2024 कुरुक्षेत्र

सामाजिक समरसता के आध्यात्मिक उपासक संत शिरोमणि रविदास जी का जीवन, संघर्षों और चुनौतियों की महागाथा है। जहां उन्हें जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत पग-पग पर प्रताड़ना, यातना, अपमान, तिरस्कार, उपेक्षा और हेय दृष्टि का व्यवहार अनुभूत हुआ। विभिन्न प्रकार की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक निर्योग्यताओं से संघर्ष करते हुए संत रविदास ने मानवीय गरिमा को सही अर्थों में समझा और अस्पृश्य समाज को समझाते हुए कहा कि तुम हिंदू जाति के अभिन्न अंग हो, तुम्हें शोषित, पीड़ित और दलित जीवन जीने की अपेक्षा मानवाधिकारों के लिए संघर्षरत रहना चाहिए। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने संत शिरोमणि रविदास जयंती के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ संत रविदास के चित्र के समक्ष माल्यार्पण, पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा संत रविदास का जन्म भारत में जिस काल में हुआ उस समय समाज का स्वरूप अत्यंत विक्षुब्ध, अशांत और संघर्षमय था। आतताइयों के आक्रमण के कारण समाज किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में था। छोटी-छोटी रियासतों में विभक्त भारतीय रियासतें मिथ्या दंभ और अभिमान में एक-दूसरे से युद्ध कर रही थीं। जर्जर सामाजिक ढांचा रूढ़ियों, प्रथाओं, अंधविश्वासों, मिथ्या आचरणों, आडंबरों और पाखंडों से सराबोर था। ऐसी विषम स्थिति में प्रबुद्ध संत समाज द्वारा पुनर्जागरण का सजीव आंदोलन प्रारंभ हुआ। जिसमें संत रविदास का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।विनम्रता की साक्षात प्रतिमूर्ति संत रविदास जी की आध्यात्मिक चेतना सबका मंगल, सदा मंगल और मंगल ही मंगल का उद्घोष करती है कार्यक्रम मे मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यर्थियों ने संत रविदास की जीवन पर संभाषण प्रस्तुत किया। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के अष्टम के विद्यार्थी प्रिंस, पंचम के कार्तिक एवं चतुर्थ के हनी को संत रविदास के जीवन पर सर्वश्रेष्ठ संभाषण के लिए पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम मे आश्रम के सदस्य, विद्यार्थी आदि उपस्थित रहे।

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