श्रीमदभगवद्गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा श्रीमदभगवद्गीता में जीवन प्रबंधन विषय पर गीता परिचर्चा कार्यक्रम संपन्न।
लोकमंगल के निमित्त मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा गीता जन्मस्थली पर नित्यप्रति आयोजित दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ के 249 वें दिन की आहुति कार्यक्रम संपन्न।
कुरुक्षेत्र।
मानव जीवन दुखों का घर माना जाता हैं, जीवन भर अपनों तथा परायों की पीड़ा को देखकर या सहकर मनुष्य खुद को कष्ट देता रहता हैं। वह स्वयं के ज्ञान से अपरिचित होता है। श्रीमदभगवद्गीता का प्रत्येक श्लोक हमारे जीवन की बाधाओं में राह दिखाता हैं।श्रीमदभगवद्गीता सार को अपने जीवन में अपनाकर इसे अधिक सुखी और आनन्दमय बना सकते हैं। यह विचार श्रीमदभगवद्गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा श्रीमदभगवद्गीता में जीवन प्रबंधन विषय पर आयोजित गीता परिचर्चा कार्यक्रम में व्यक्त किये। कार्यक्रम में लोकमंगल के निमित्त मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा गीता जन्मस्थली पर नित्यप्रति आयोजित दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ के 249 वें दिन की आहुति भी डाली गई। वैदिक ब्रम्हचारियों द्वारा सस्वर गीता के श्लोको की आहुति दी गई।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा वेदों का सारभूत श्रीमद्भगवद्गीता मानव जीवन का मार्ग निर्देशक है। यह एक व्यावहारिक मनोवैज्ञानिक है जो जीवन रुपी युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए वास्तविक ज्ञान का उपदेश हमें देता है। आधुनिक प्रबंधन में सभी सिद्धांतों का दृष्टिकोण, नेतृत्व, प्रेरणा, कार्यकुशलता, लक्ष्य की प्राप्ति, निर्णय लेने की क्षमता, योजना बनाने की प्रतिभा आदि इन सभी सिद्धांतों का प्रतिपादन श्रीमद्भगवद्गीता में हुआ है। श्रीमद्भगवद्गीता में जीवन निर्माण एवं जीवन प्रबंधन सम्बन्धी सभी विषयों को वह मूल रूप से समावेश है। जब एक बार हमारी व्यक्तिगत रचना में उत्कृष्टता आती है तो जीवन की गुणवत्ता के स्तर में सुधार और स्वाभाविकता आती है।
गीता हममें एक सादृश्य विकसित किया गया है कि हम केवल अपने विषय में न तो अमूर्त से ऊपर पूरे समाज के लिए, देश के लिए और मानव संस्कृति के कल्याण के लिए शास्त्र और उसी के अनुसार कार्य करते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन की मध्यप्र्देश इकाई के संयोजक अशोक शर्मा ने कहा
गीता हमें आस्तिक, अनुपयोगी निष्काम कर्म का उपदेश देती है। हम फल की चिंता किये बिना कर्मशील बने। यदि हम कार्य अनपेक्षित कार्य करेंगे तो उसके परिणाम तो अच्छा ही होगा। इस प्रवृत्ति से हमारे दृष्टिकोण में सुधार मौजूद है और हम अपने अहं का परित्याग कर कार्य में स्वयं को केंद्रित कर रहे हैं। निश्चित का वर्णन करते हैं, अनिश्चित का नहीं। समाजसेवी जसवीर राणा एवं वीरेंद्र गोलन अतिविशिष्ट अतिथि के रूप सभी उपस्थित रहे। सभी अतिथियों को मातृभूमि सेवा मिशन परिवार की ओर से अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रांतो से गीता प्रेमी एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।