उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के द्वारा संस्कृत भाषा प्रशिक्षण वर्ग के अंतर्गत बौद्धिक सत्र का आयोजन किया गया

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*जीवन के कण-कण में राम- कुलदीप मैन्दोला

*उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के द्वारा संस्कृत भाषा प्रशिक्षण वर्ग के अंतर्गत बौद्धिक सत्र का आयोजन किया गया ।

।।रा.इ.का.कोटद्वार के शिक्षक मैन्दोला बौद्धिक प्रशिक्षण के साथ साथ आम आदमी को भी संस्कृत सिखा रहे हैं लाखों को करवा चुके हैं संस्कृत सम्भाषण ।।

 

प्रेषक:- शशिकांत (संस्थान प्रशिक्षक)

उत्तराखंड के रा.इ.का.कोटद्वार में संस्कृत सिखा रहे कुलदीपमैन्दोला ने उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा आयोजित संस्कृत भाषा प्रशिक्षण कक्षाओं के अंतर्गत मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम विषय पर बौद्धिक व्याख्यान दिया जिसमें कई प्रशिक्षक, संस्थान के निदेशक व अध्येता तथा गणमान्य लोग उपस्थित रहे । कार्यक्रम विशेष आदर्श: श्रीराम: विषय पर संस्कृत कक्षाओं के अन्तर्गत सञ्चालित किया गया था।
उद्घाटन में मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होने के लिए संस्थान ने उत्तराखंड से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक मैन्दोला को विशेष रूप से आमंत्रित किया था।

कार्यक्रम की शुरूआत सुश्री संजीवनी के शंखनाद से हुई। श्रीमती किशोर राधे ने वाद्ययंत्रों के साथ सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। पंकज कुमार ने श्री राम पर अपने विचार राष्ट्रीय संरक्षक के रूप में प्रस्तुत किये। भाषा प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित श्री नागेश दुबे ने अतिथियों को कार्यक्रम की रूपरेखा से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की है । यह भी कहा जाता है कि संस्कृत संस्थान केवल उत्तर प्रदेश में या पूरे भारत में संस्कृत प्रेमियों के लिए संस्कृत कक्षाएं चलाता है। इसके अलावा, संस्थान द्वारा ज्योतिष कक्षाएं, कंप्यूटर आर्किटेक्चर कक्षाएं आदि आयोजित की जाती हैं। कविता ने राम की स्तुति संस्कृत में गायी तो, आशीर्वाद अनुभव ने श्री राम के बारे में रोचक तथ्य भी बताये। । इस अवसर पर, सायशा और नारायणी ने श्री राम रक्षा स्तोत्र व ज्योतिलक्ष्मी द्वारा लिखित श्री राम अष्टकम का पाठ किया गया जिसने सभी श्रोताओं का मन मोह लिया।

मुख्य वक्ता के रूप में पधारे श्री कुलदीप मैंदोला ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को अपने जीवन को राममय बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति राममय है। राम हमारे जीवन के कण-कण में हैं उन्होंने कहा कि गणवान् धर्मनिष्ठ और मर्यादा केवल संसार भर में श्री राम में ही देखने को मिलती है उनके महान् त्याग , प्रेम, मित्रता और अद्भुत आदर्शों के गुणों के कारण वाल्मीकि ने रामायण और तुलसीदास ने रामचरितमानस को लिखा जिस पर आज भी दुनिया उनका अनुसरण करती है । संस्कृत मे लिखा वाल्मीकि जी का ग्रन्थ संसार भर का पहला काव्य है जिसके बाद शास्त्र पुराणों की उत्पत्ति हुई।

कार्यक्रम का कुशल संचालन संस्थान के प्रशिक्षकों द्वारा किया गया एवं संचालन प्रशिक्षक शशिकांत ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव, सर्वेक्षक चन्द्रकला शाक्य, प्रशासनिक अधिकारी जगदानन्द झा, प्रशिक्षण प्रमुख श्री सुधीष्ट मिश्र एवं समन्वयक धीरज मैठाणी, राधा शर्मा एवं दिव्य रंजना भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन प्रशिक्षक नूतन विष्णु रेग्मी और शांति मंत्रों का उच्चारण प्रशिक्षक जय कुमार ने किया साथ ही बताया कि ये कक्षाएँ संस्कृत प्रेमियों के लिए हर माह निःशुल्क चलायी जाती हैं। प्रमाणीकरण और परीक्षा की भी योजना बनाई गई है। कोई भी जिज्ञासु व्यक्ति इस तक पहुंच प्राप्त कर सकता है। जांच के बाद एक सर्टिफिकेट भी दिया जाता है. ऐसा समय और महीना चुनें जो आपके लिए उपयुक्त हो और पंजीकरण करें।

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