श्रीमदभगवदगीता में मानवाधिकारो का स्वरूप व्यापक एवं सार्वभौम एवं सर्वमंगलकारी है: डा. श्रीप्रकाश मिश्र

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श्रीमदभगवदगीता में मानवाधिकारो का स्वरूप व्यापक एवं सार्वभौम एवं सर्वमंगलकारी है – डा. श्रीप्रकाश मिश्र

कुरुक्षेत्र/मानवाधिकारों से मनुष्य में समता, समानता और स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न होती है। सभी मनुष्य समान भाव से उन्नति करें, सभी को सम्मान से जीने का हक प्राप्त हो, जाति भाषा का भेद ना रहे, छूत-अछूत का भाव समाप्त हो, यही सब मानव अधिकारों में निहित है। मनुष्य की स्वतंत्रता के साथ मानव अधिकार जुड़े है। भारत में मानव अधिकारों की चर्चा सबसे पहले श्रीमदभागवत गीता में मिलती है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने राष्ट्रीय मानवाधिकार सेवा संगठन के 15 वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन कार्यक्रम में ग्वालियर, मध्यप्रदेश में आयोजित श्रीमदभगवदगीता में मानवाधिकार के संदर्भ में वर्णित चिंतन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रीय मानवाधिकार सेवा संगठन के अध्यक्ष डा. एम.एल. शर्मा, मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र, दतिया की महारानी श्रीमती सरोज बुंदेला, ग्वालियर चम्बल विकास परिषद के अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल ने सयुक्त रूप से मां सरस्वती एवं भूतभावन बाबा महाकाल के चित्र पर पुष्पार्चन, पुष्पार्चन एवं दीपप्रज्ज्वलन से हुआ। कार्यक्रम के मुख्यतिथि मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने वैदिक कालीन भारत में और भारतीय वेदांत दर्शन में वर्णित मानवाधिकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला। हजारों वर्ष से संपूर्ण विश्व श्रीमद्भगवद्गीता एवं रामायण से प्रेरणा ले रहा है। विश्व में भारतीय संस्कृति इसीलिए श्रेष्ठ रही है कि उसने ‘सर्वजन हिताय’ का संदेश दिया है। भारत सदियों से ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के आधार पर अपनी संस्कृति का विकास करता रहा है। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति अनादिकाल से समृद्ध रही है। मानवाधिकार की अवधारणा प्राचीन काल से ही भारतीय दर्शन पर आधारित है। श्रीमदभगवदगीता में मानवाधिकार का स्वरूप व्यापक एवं सार्वभौम है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य मे मानवाधिकारों के संरक्षण और समाज के अंतिम व्यक्ति के मानवाधिकारों के सुरक्षा की आवश्यकता कैसे सुनिश्चित हो। इस पर प्रत्येक व्यक्ति के सामाजिक दायित्व के निर्वाह पर विस्तार से प्रकाश डाला।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार सेवा संगठन के अध्यक्ष डा. एम.एल. शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा आज मावधिकारो का अत्यधिक हनन हो रहा है। आज मानवाधिकारों के हर स्तर पर सुरक्षा की आवश्यकता है। राष्ट्रीय अधिवेशन को दतिया की महारानी श्रीमती सरोज बुंदेला, ग्वालियर चम्बल विकास परिषद के अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल, तमिलनाडु के प्रसिद्ध उद्योगपति अनीश सचान ने बतौर अतीविशिष्ट अतिथि उद्बोधन दिया। कार्यक्रम का संचालन इंडियन चैम्बर ऑफ फारमर्स के राष्ट्रीय सचिव अशोक शर्मा ने किया। आभार ज्ञापन उत्तराखंड के संयोजक दिनेश छारी ने किया। राष्ट्रीय अधिवेशन में मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, झारखंड, उड़ीसा, छतीसगढ़, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक सहित अनेक प्रदेशो के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। मानवाधिकार के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने के लिए अनेक प्रतिनिधियो को प्रशस्ति पत्र , स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।

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