अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2023 के उपलक्ष्य में मातृभूमि मिशन मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के सत्रहवें दिवस गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में गीता के सत्रहवें अध्याय के श्लोको विश्वमंगल महायज्ञ में आहुति डाली गई।
कुरुक्षेत्र/
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, दुष्टों की दृष्टि का विस्तार होता है और अधर्म की वृद्धि होती है तब-तब मैं अवतार लेताहूं., या प्रतिनिधि के रूप में किसी महापुरुष को भेजता हूं ताकि विश्व के अंदर शांति तथा धर्म का साम्राज्य स्थापित हो सके। श्रीमद्भगवदगीता कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध की शुरुआत से पहले भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच होने वाला संवाद है। यह विचार अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2023 के उपलक्ष्य में मातृभूमि मिशन मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के सत्रहवें दिवस गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में आयोजित विश्वमंगल महायज्ञ में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। वैदिक ब्राम्हचारियों द्वारा गीता के सत्रहवें अध्याय के श्लोकों से आहुति दी गई। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा गीता कई सदियों पुराना ग्रंथ है, इसके हर शब्द में निहित तर्क, ज्ञान, जीवनदृष्टि एवं संसार को देखने एवं जीने का सार्थक नजरिया इसे एक कालातीत, सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक मार्गदर्शक बनाता है।श्रीमदभगवदगीता के चिरस्थायी मार्गदर्शक सिद्धांतों को समझने से हमें रोजमर्रा की जिंदगी में कैसे और क्यों की गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। यह एक अलौकिक, अद्भुत एवं कालजयी रचना है, जो हमें हमारी समृद्ध संस्कृति और परंपरा से परिचित कराती है। इसके श्लोकों में हमें रोजमर्रा की जिंदगी की विभिन्न समस्याओं का समाधान खोजने, जीवन की सच्चाई से परिचित होने और अंधविश्वास एवं झूठी मान्यताओं से मुक्ति पाने में मदद मिल सकती है। श्रीमदभगवदगीता का ज्ञान हमारे संदेहों एवं शंकाओं को दूर करता है और हमारे आत्मविश्वास का निर्माण करता है। कार्यक्रम में आचार्य नरेश कौशिक, कैप्टन वीरेंद्र गोलन, धर्मपाल सैनी साहित अनेक गीता प्रेमी उपस्थित रहे।