मातृभूमि सेवा मिशन धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की देहरादून इकाई का उद्घाटन कार्यक्रम के उपलक्ष्य में आदर्श परिवार के निर्माण में श्रीरामचरितमानस विषय पर विचार गोष्ठी संपन्न
मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी संपन्न
कुरुक्षेत्र/देहरादून।
रामचरितमानस केवल भक्तिमार्ग के साधकों का भाव ही पुष्ट नहीं करती, वरन उनका आध्यातिमिक, सामाजिक तथा व्यवाहरिक जीवन का भी मार्गदर्शन करती है । एक सम्पूर्ण व्यावहारिक जीवन दर्शन को समेटे श्रीरामचरित मानस एक ऐसा ग्रन्थ है जिसने हम संसारी जीवों के व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और राजनैतिक जीवन के विभिन्न अंगों के लिए आदर्श स्थापित किया है|। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की देहरादून इकाई के उद्घाटन कार्यक्रम के उपलक्ष्य में आदर्श परिवार के निर्माण में श्रीरामचरितमानस विषय पर भगीरथ पुरम में आयोजित विचार गोष्ठी में निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान श्रीराम दरबार के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से मुख्य अतिथि निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में पहुंचने पर निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र का आयोजन समिति के सदस्यों ने पुष्पवर्षा, शंख ध्वनि एवं ढोल नगाड़ो के साथ दिव्य एवं भव्य स्वागत किया। निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा यदि हम सामाजिक समरसता की दृष्टि से देखें तो वहां भी रामचरित मानस हमें प्रतिबिम्ब और पथ दोनों दिखाता है। प्रतिबिम्ब इसलिए कि हम अपने व्यक्तित्व एवं तदनुरूप कार्य व्यवहार व सामाजिक योगदान के वास्तविक रूप को जान सकें, और पथ इसलिए कि जहाँ हम एक समाज के रूप में भटक रहे हैं वहां सन्मार्ग का चयन कर सकें और उस पर चलने का साहस-सामर्थ्य जुटा सकें। स्वामी कैलाशानंद जी ने कहा मातृभूमि सेवा मिशन समाज के असहाय एवं जरूरतमंद बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए निःस्वार्थ भाव से समर्पित है। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा रामायण , श्रीमदभगवदगीता साहित अनेक विषयों ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किया जा रहा है। आज आवश्यकता है भगवान श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेकर एक आदर्श परिवार,समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में हम सब सहभागी बने। भगवान श्रीराम भारत के राष्ट्र पुरुष है।श्रीरामचरितमानस आदर्श परिवार निर्माण की आधारशिला है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा
श्री रामचरितमानस में निरूपित जीवन-व्यवस्था एक आदर्श समाज एवं आदर्श राज्य की कोरी कल्पना मात्र न होकर पूर्णतः अनुभवगम्य और व्यावहारिक है। इस ग्रन्थ के माध्यम से गोस्वामी जी ने परस्पर स्नेह-सम्मान के साथ कर्त्तव्य-परायणता के माध्यम से न केवल जीवन को समृद्ध-सुखी बनाने में असंख्य-अप्रतिम योगदान दिया है वरन मानस के पात्रों के माध्यम से ढेरों सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में अभूतपूर्व कार्य किया है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा यदि हम सामाजिक समरसता की दृष्टि से देखें तो वहां भी रामचरित मानस हमें प्रतिबिम्ब और पथ दोनों दिखाता है। प्रतिबिम्ब इसलिए कि हम अपने व्यक्तित्व एवं तदनुरूप कार्य व्यवहार व सामाजिक योगदान के वास्तविक रूप को जान सकें, और पथ इसलिए कि जहाँ हम एक समाज के रूप में भटक रहे हैं वहां सन्मार्ग का चयन कर सकें और उस पर चलने का साहस-सामर्थ्य जुटा सकें।श्री रामचरितमानस में निरूपित जीवन-व्यवस्था एक आदर्श समाज एवं आदर्श राज्य की कोरी कल्पना मात्र न होकर पूर्णतः अनुभवगम्य और व्यावहारिक है। इस ग्रन्थ के माध्यम से गोस्वामी जी ने परस्पर स्नेह-सम्मान के साथ कर्त्तव्य-परायणता के माध्यम से न केवल जीवन को समृद्ध-सुखी बनाने में असंख्य-अप्रतिम योगदान दिया है वरन मानस के पात्रों के माध्यम से ढेरों सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में अभूतपूर्व कार्य किया है।श्री रामचरित मानस में जिस आदर्श और उदात्त समाज की परिकल्पना की गई है वह हमेशा मानव को सही मार्ग दिखलाने में सहायक सिद्ध होगा
कार्यक्रम मे अति विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय मानवाधिकार सेवा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. मुन्नीलाल शर्मा, गुजरात से उमेश शाह, राष्ट्रीय सचिव एडवोकेट राजेश शर्मा उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन इंडियन चैंबर्स आफ फैमर्स के सचिव अशोक शर्मा ने किया। कार्यक्रम में समाजसेवी योगेंद्र चौधरी, धर्मपाल सैनी, आनंद गुप्ता, श्रीमती अलका छारी, आशिवन साहित पूरे देश से अनेक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओ के प्रतिनिधि साहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे । कार्यक्रम का समापन श्रीराम के नारो के उद्घोष से हुआ।