श्रीमद्भागवत मानव जीवन में जन्म व मृत्यु के भय का नाश कर देता हैः स्वामी ज्ञानानंद

राज्य

कुरुक्षेत्र। श्रीमद्भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुत्तिफ़ मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण, भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है। श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। यह उदगार जियो गीता के प्रणेता गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने त्यागी बाबा आश्रम, मुरैना, मध्य प्रदेश के तत्वाधान में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के द्वितीय दिवस श्री गीताधाम में व्यक्त किये। कथा का विधिवत शुभारम्भ सर्वदेव पूजन से जियो गीता के प्रणेता गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद, कथा के संरक्षक मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र, श्री शनिचरा धाम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर श्री 1008 महंत शिवराम दास त्यागी जी महाराज, कथा व्यास पंडित सुरेश शास्त्री, कथा के संयोजक इंडियन चौम्बर ऑफ फार्मर्स के राष्ट्रीय सचिव अशोक शर्मा ने संयुत्तफ़ रूप से किया। आचार्य नरेश कौशिक के नेतृत्व में वैदिक ब्रह्मचारियों ने वैदिक मंत्रे एवं मंलागचरण से पवित्र श्रीमदभागवद् ग्रंथ का पूजन संपन्न कराया।
स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि गवत का अर्थ है भत्तिफ़, ज्ञान वैराग्य और तारण। भागवत न सिर्फ आध्यात्म सिखाती है, बल्कि भागवत से जीवन जीने की राह भी मिलती है।

श्रीमद्भागवत मानव जीवन में जन्म व मृत्यु के भय का नाश कर देता है भागवत का आध्यात्मिक अर्थ – भा यानी भत्तिफ़, ग यानी ज्ञान, व मतलब वैराग्य और त से तत्व है। गृहस्थ गृहस्थ जीवन में भी रहकर वैराग्य धारण कर सकते हैं। कैसे कर सकते हैं, ये कला भागवत में है। जन्म लिया, पढने के बाद कमाया खाया और जीवन का अंत हो जाता है। कई बार मालुम ही नहीं लगता कि जीवन का उद्देश्य क्या है। भागवत यही कला सिखाती है। त्याग, तपस्या, मोक्ष के साथ जीवन जीने की सही राह भागवत की बताती है। सद्गुणों और सतकर्म को हमने जीवन में कितना उतार लिया है। ये मंथन करने का विषय रहता है। कैसे उतार सकते हैं, ये कला भी भागवत सिखाती है। भत्तिफ़, ज्ञान वैराग्य और तारण भागवत में ही समाहित है।

मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि भागवत पुराण हिन्दुओं के 18 पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है।

कथा में श्री श्री आसु कवि पंकज, श्री श्री प्रथूवन महाराज, श्याम सिंह बड़ेगाव, श्री बेताल बाबा, योगिराज राकेश शर्मा, प्रशांत त्रिपाठी हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान से अनेक भागवत प्रेमी एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे कथा में श्री श्री आसु कवि पंकज, श्री श्री प्रथूवन महाराज, श्याम सिंह बड़ेगाव, श्री बेताल बाबा, योगिराज राकेश शर्मा, प्रशांत त्रिपाठी हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान से अनेक भागवत प्रेमी एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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