गीता में निहित शिक्षाओ का पालन करने से व्यक्ति साहसी और निडर बन जाता है: डा. श्रीप्रकाश मिश्र

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अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2024 के उपलक्ष्य में आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के सप्तम दिवस श्रीमदभगवदगीता का समाज पर प्रभाव विषय पर एक विचार गोष्ठी संपन्न

कुरुक्षेत्र।

श्रीमदभगवदगीता में बताए गए सिद्धांतों का पालन करने से व्यक्ति अपने भीतर और बाहर का संतुलन बना सकता है।
गीता में बताए गए सिद्धांतों का पालन करने से व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जाओं से दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकता है।
गीता में निहित शिक्षाओ का पालन करने से व्यक्ति साहसी और निडर बन जाता है। यह मातृभूमि सेवा मिशन धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2024 के उपलक्ष्य में आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के सप्तम दिवस श्रीमदभगवदगीता का समाज पर प्रभाव विषय पर एक विचार गोष्ठी में व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ कल्याण मंत्र से हुआ। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा
गीता को आत्मसात करके व्यक्ति लोभ, जलन, अहंकार, छल, कपट, स्वार्थ, और कटुता से दूर हो सकता है। गीता से सीखकर व्यक्ति अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ सकता है और आत्मबल बढ़ा सकता है। आज वर्तमान काल की मानव जीवन की समस्त स्समस्याओं का समाधान कर सकता है।गीता में बताए गए सिद्धांतों का पालन करने से व्यक्ति वर्ग-संघर्ष की समस्या का समाधान कर सकता है और समाज में एक नई सोच, विचार एवं मूल्य परक समाज की स्थापना कर सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आयुष विभाग गुजरात के पूर्व निदेशक डा. रणदीप सिंह ने कहा श्रीमद्भगवद्गीता से शिक्षा लेकर मनुष्य लोभ, जलन, अहंकार, छल, कपट, स्वार्थ एवं कटुता से दूर होकर एक नवीन समाज की स्थापना कर सकेगा। इसके बाद उसका हर कर्म समस्त मानव जाति के लिए समृद्धि लाएगा। हमें जीवन कैसा सफलतापूर्वक एवं शांति पूर्वक जीना है सिखाती है। कार्यक्रम में समाजसेवी महिपाल राणा, ओमपाल सिंह, मनोज शर्मा ने बतौर अतिविशिष्ट अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन अंतर्राष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2024 आयोजन समिति के सदस्य जसवीर राणा ने किया। आभार ज्ञापन बाबू राम ने किया। विचार गोष्ठी का समापन शांति पाठ से हुआ।

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