अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह 2022 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के द्वादश दिवस गीता संवाद कार्यक्रम संपन्न

कुरुक्षेत्र\गीता में अथाह ज्ञान है जो सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्र को स्वयं में समाविष्ट किये हुये है, इसमे सामाजिक समस्याओं का निदान,सांस्कृतिक आस्था की स्थापना, राजनीतिक दुविधाओं का समाधान व आर्थिक संकट से निपटने की युक्तियाँ भी विद्यमान हैं अत: गीता दर्शन के महत्व को समझना व आत्मसात करना आवश्यक है। यह उद्गार अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह 2022 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम के द्वादश दिवस मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों के मध्य व्यक्त किए।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा गीता में अथाह ज्ञान है जो सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्र को स्वयं में समाविष्ट किये हुये है, इसमे सामाजिक समस्याओं का निदान, सांस्कृतिक आस्था की स्थापना, राजनीतिक दुविधाओं का समाधान व आर्थिक संकट से निपटने की युक्तियाँ भी विद्यमान हैं अत: गीता दर्शन के महत्व को समझना व आत्मसात करना आवश्यक है।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा श्री मद्भगवतगीता एक धर्म ग्रंथ ही नहीं बल्कि उपदेशों का समग्र रूप है जो वैश्विक समाज में भी मानव जाति को जीवन जीने की अद्भुत कला से परिचित कराने में सफल है। इसके अंतर्गत कर्म योग, ज्ञान योग, सांख्य योग, वेदान्त योग, वैराग्य, दर्शन शास्त्र, भक्ति चेतना एवं एकेश्वर वाद का समावेश है।गीता में दर्शन, तत्व ज्ञान, नीति शास्त्र, आत्म ज्ञान, तथा मानवीय आदर्श की चरम पराकाष्ठा विद्यमान है।

डा. मिश्र ने कहा आज के वैश्विक समाज में मानव जाति अपने देश की समृद्धिशाली दर्शन, योग, नीति, ज्ञान को विस्मृत करता जा रहा है।ऐसे समय में गीता में वर्णित गीता दर्शन से उचित कोई आलंबन नहीं जो मानव जाति को प्रेरणा दे सके। गीता संवाद कार्यक्रम में कई गीता प्रेमियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए गीता के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में अनेक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि सहित मातृभूमि सेवा मिशन के विद्यार्थी एवं सदस्य उपस्थित रहे।